नई दिल्ली। पिछले दिनों खबर उड़ी कि एनसीईआरटी NCERT ने नई किताबों से देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद से जुड़ा चैप्टर 11वीं कि किताब से हटा दिया है। इसे लेकर खूब हायतौबा मची। कांग्रेस ने इस मामले में मोदी सरकार को घेरा। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने इसे अपमान बताया। अब मौलाना आजाद का चैप्टर हटाने के बारे में एनसीईआरटी ने खुलासा किया है और इससे बीजेपी को कांग्रेस पर एक बार फिर निशाना साधने का मौका मिल सकता है। हिंदी अखबार अमर उजाला के मुताबिक एनसीईआरटी ने बताया है कि किताबों में मौलाना अबुल कलाम आजाद के बारे में बदलाव मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले 2013 में ही किया गया था। तब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी।
एनसीईआरटी ने कहा है कि मौलाना आजाद से संबंधित चैप्टर को हटाए जाने का मसला पिछले साल सिलेबस रेशनलाइजेशन से नहीं जोड़ना चाहिए। कांग्रेस ने पिछले हफ्ते मोदी सरकार और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि ये इतिहास को फिर से लिखने और विकृत विरासत के प्रचार की कोशिश है। एनसीईआरटी के शीर्ष अफसर के हवाले से अमर उजाला ने बताया है कि 11वीं की किताब के पिछले संस्करणों में मौलाना आजाद के बारे में तलाशा गया। तब पाया गया कि 2014-15 के बाद उनका नाम किताब में नहीं है।
इस अफसर के मुताबिक 11वीं की किताब को एनसीईआरटी ने आखिरी बार अक्टूबर 2013 में छापा था। ऐसे में तभी मौलाना आजाद से जुड़ा संदर्भ हटाया गया। इसे मौजूदा सिलेबस ठीक और कम करने के काम से नहीं जोड़ना चाहिए। ये पूछे जाने पर कि मौलाना आजाद से जुड़ा चैप्टर हटाने के बारे में साल 2013 में क्या अधिसूचित किया गया था, अफसर ने कहा कि एनसीईआरटी लगातार स्कूली किताबों को फिर से छापने के वक्त नियमित तरीके से करता है। इसमें जानकारी को सही करना शामिल होता है।