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President Droupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू के लिए है 340 कमरे वाला राष्ट्रपति भवन, लेकिन वो गेस्टरूम में ही रहेंगी, जानिए क्यों

राष्ट्रपति भवन में कुल मिलाकर 340 कमरे हैं। साल 1911 में जब देश की राजधानी को अंग्रेजों ने कोलकाता (तब कलकत्ता) से दिल्ली लाने का फैसला किया, तो वायसरॉय के रहने के लिए भी आवास की जरूरत महसूस की गई। उस वक्त रायसीना गांव के पास एक पहाड़ी हुआ करती थी। उसी जगह पर गवर्नमेंट हाउस बनाने के लिए उस वक्त के नामचीन आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस को काम दिया गया। यही गवर्नमेंट हाउस बाद में जाकर राष्ट्रपति भवन कहलाया।

नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू आज 15वें राष्ट्रपति का पद संभालने जा रही हैं। ओडिशा के छोटे से गांव रायरंगपुर से दिल्ली तक का उनका सियासी सफर लोगों को चमत्कृत करने वाला है। छोटे से खपरैल की छत वाले घर में पैदा हुईं मुर्मू की किस्मत किस तरह चमकी, ये उनका सियासी करियर ही बताता है। साथ ही अब उस छोटे से घर में पैदा होने वाली मुर्मू अब विशालकाय महल जैसे राष्ट्रपति भवन में रहने जा रही हैं। इस मौके पर ये जान लेना जरूरी है कि राष्ट्रपति भवन आखिर है कैसा? किसने इसे बनवाया और अन्य क्या खासियत देश के राष्ट्रपति के निवास स्थान की हैं? आज हम आपको ये भी बताएंगे कि राष्ट्रपति भवन में सैकड़ों कमरे होने के बाद भी आखिर द्रौपदी मुर्मू यहां के गेस्ट हाउस में ही क्यों रहेंगी।

droupadi murmu as governor

राष्ट्रपति भवन में कुल मिलाकर 340 कमरे हैं। साल 1911 में जब देश की राजधानी को अंग्रेजों ने कोलकाता (तब कलकत्ता) से दिल्ली लाने का फैसला किया, तो वायसरॉय के रहने के लिए भी आवास की जरूरत महसूस की गई। उस वक्त रायसीना गांव के पास एक पहाड़ी हुआ करती थी। उसी जगह पर गवर्नमेंट हाउस बनाने के लिए उस वक्त के नामचीन आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस को काम दिया गया। यही गवर्नमेंट हाउस बाद में जाकर राष्ट्रपति भवन कहलाया। लुटियंस ने गवर्नमेंट हाउस का नक्शा तैयार किया। इस भवन को अंग्रेजी के एच आकार में बनाया जाना था। पहले इसे 4 साल में बनना था, लेकिन कामकाज की वजह से 17 साल में बनकर तैयार हुआ। 70 करोड़ ईंट और 30 लाख पत्थरों से राष्ट्रपति भवन बनाया गया है।

droupadi murmu

सबसे खास बात ये है कि यहां दरबार हॉल, अशोका हॉल, बैंक्वेट हॉल के अलावा तमाम और भी बड़े कमरे हैं। फिर भी देश का हर राष्ट्रपति यहां के गेस्टरूम में ही रहता है। इसके पीछे की कहानी ये है कि पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को यहां के बड़े कमरे कभी नहीं सुहाए। उन्होंने अपने लिए गेस्टरूम चुना। पत्नी के साथ राजेंद्र प्रसाद इसी गेस्टरूम में रहे। उनकी इसी परंपरा को बाद के सभी राष्ट्रपति ने भी अपने कार्यकाल में जारी रखा। अब द्रौपदी मुर्मू भी इसी गेस्टरूम में ही रहेंगी। जबकि, विदेश से भारत दौरे पर आने वाले वीवीआईपी राष्ट्रपति भवन का मेहमान बनने पर अन्य बड़े बेडरूम में पहले की ही तरह रहेंगे।