नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व राजनीतिक गलियारों में मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो चुका है। जिसको देखो वो मुलाकातों में ही मशगूल है। मानो चुनाव जीतने के लिए मुलाकातें जरूर हो गईं हैं। आज कुछ ऐसी ही मुलाकातों में व्यस्त दिखें बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव। उन्होंने पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और इसके बाद पहुंचे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ। जहां वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुखातिब हुए। इस मौके पर तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच किन मुद्दों पर वार्ता हुई। इसके बारे में कोई खबर नहीं है, लेकिन ममता बनर्जी ने साझा प्रेसवार्ता के दौरान आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को परास्त करने की अपनी मंशा साफ कर दी। उन्होंने दो टूक कह दिया कि केंद्र की मोदी सरकार को परास्त करने के लिए हमें एकजुट होना होगा। इसके अलावा नीतीश और तेजस्वी ने भी बयान जारी कर सत्य के पक्ष में अपनी आवाज सभी विक्षली दलों से मुखर करने की अपील की , लेकिन इस बीच सियासी गलियारों में लगातार यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर विपक्षी एकता को अगर मान लीजिए मूर्त रूप दे भी दिया गया, तो इनका नेता कौन होगा।
सत्तारूढ दल की तरफ से तो समझ भी आता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेता होंगे। कई मौकों पर अमित शाह सहित कई अन्य नेता इसे लेकर तस्वीर साफ कर चुके हैं, लेकिन विपक्षियों के बीच इसे लेकर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। अब यह बादल कब तक छटेंगे। कह पाना मुश्किल है, लेकिन इस बात को भी सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ विपक्षी दलों के नेता सियासी मोर्चा तैयार करने में भी जुटे हैं, जिसमें कोई गुरेज नहीं कहने में कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित आप संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है। अब ऐसे मे नीतीश ने सपा प्रमुख से मुलाकात करके बड़ा खेल कर दिया है। अब इसे खेले का आगामी लोकसभा चुनाव में क्या असर प़ड़ता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
#WATCH | Lucknow, UP: They (BJP) want to change the history of India. They must know the history. They are not doing any work but just publicising. We are going to mobilise most of the opposition parties in coalition and fight the upcoming elections: Bihar CM Nitish Kumar pic.twitter.com/OsmsPWjjfm
— ANI (@ANI) April 24, 2023
बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल तीनों सूबे अहम हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश में जहां लोकसभा की 80 सीटें हैं, तो वहीं बिहार में 40 तो बंगाल में 42। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से तीनों ही सूबे अहम माने जा रहे हैं और नीतीश कुमार किसी मंझे हुए सियासी खिलाड़ी की तरह तीनों ही राज्यों को साधने में जुटे हैं, लेकिन वो इसमें कितना कामयाब हो पाते है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में जहां सपा अपना दबदबा होने का दावा करती है, तो वहीं पश्चिम बंगाल में ममता का दावा है कि सियासी माहौल उनके पक्ष में है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विपक्षियों के बीच जोर तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है। विदित हो कि प्रधानमंत्री बनने के अपने ख्वाब को मुकम्मल करने के लिए उन्होंने बीते दिनों बीजेपी से रिश्ता तोड़कर राजद से हाथ मिलाया था,जिस पर अब बीजेपी नीतीश के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने पर हमेशा के लिए प्रतिबंध भी लगा चुकी है।