नई दिल्ली। दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जहां एक तरफ पक्ष-विपक्ष में हिंसा भड़की हुई है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के तीन नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण को लेकर एफआईआर की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर खुद ही घिर गए हैं।
दरअसल हर्ष मंदर का विवादित विडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने उनसे सफाई मांगी है। बता दें, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हिंसा पर सुनवाई के दौरान हर्ष मंदर के वायरल वीडियो की जानकारी अदालत को दी।
अब फ़ैसला संसद या SC में नहीं होगा। SC ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में secularism की रक्षा नहीं की। इसलिए फ़ैसला अब सड़कों पर होगा।
This man Harsh Mander, who wrote the draconian CVB, is in HC to get FIRs against people for hate speech… And a judge gave him midnight hearing! pic.twitter.com/zrXYyBxfE3
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 4, 2020
इस वीडियो में याचिकाकर्ता हर्ष मंदर कथित तौर पर सीएए पर न्याय के लिए लोगों से सड़कों पर उतर संघर्ष करने का आह्वान कर रहे हैं। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने अदालत में भाषण की ट्रांस स्क्रिप्ट पेश करने को कहा। हर्ष मंदर के वकील के इंकार करने पर अदालत ने दो टूक कह दिया कि भाषण की स्थिति साफ होने तक वह याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे। कुछ याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अगली सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी गई।
गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा मामले में कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर के खिलाफ एफआईआर की मांग से जुड़ी याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई शुरू होते हैं सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने एक याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के वायरल भाषण की जानकारी कोर्ट को दी। उन्होंने कहा इसके तहत हर्ष मंदर ने कहा है कि यह सिर्फ एक संयोग है कि हम भारतीय है। हमने सुप्रीम कोर्ट का ट्रैक रिकॉर्ड देखा है। अंततः हमे इंसाफ सड़क पर ही संघर्ष कर मिलेगा। इस पर जस्टिस गवई ने हर्ष मंदर के भाषण की ट्रांसस्क्रिप्ट की मांग की।
भाषण पर जारी होगा नोटिस
तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट चाहे तो वह याचिकाकर्ता हर्ष मंदर की स्पीच को कोर्ट में चला सकते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने भाषण की ट्रांस स्क्रिप्ट मांगी। इस पर हर्ष मंदर के वकील ने इससे इंकार करते हुए कहा कि ऐसी स्पीच के लिए उन्हें कोई नोटिस भी नहीं मिला है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम यह साफ कर देना चाहते है कि हम नोटिस जारी करेंगे और जब तक आपके भाषण को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती, तब तक हम आपको नहीं सुनेंगे। आपके बजाए हम दूसरे याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे।