नई दिल्ली। चलिए मान लिया की भारत का संविधान आपको और हमें अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है, तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि राष्ट्रीय हितों से जुड़े किसी भी मसले पर उलजुलूल बयानबाजी करने का हमें सार्टफिकेट मिल गया है? संविधान निर्माताओं ने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जो अभिव्यक्ति की आजादी की हमें दी है? आखिर क्यों कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति करने हेतु इसका बेजा इस्तेमाल करते हैं? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला द्वारा हालिया बयान के संदर्भ में उनसे पूछे जा रहे हैं। हालांकि, यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब उन्होंने कोई उलजुलूल बयानबाजी की हो, बल्कि इससे पहले भी वे कई मर्तबा अपनी हदों को पार करते देखे जा चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने खुल्लेआम पाकिस्तान का बचाव किया है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को लेकर पाकिस्तान को क्लिन चीट देते हुए कहा कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है, बल्कि असल मयाने में इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हाल में हुई आतंकी घटनाओं का जिक्र कर कहा कि पिछले कुछ समय में घाटी में आतंकी घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। इन सभी घटनाओं में एक बात समान है कि अधिकांश ऐसे युवा हैं जिन्होंने अभी हाल ही में आतंक की राह पकड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि इसमें से एक युवा तो ऐसा है, जो 5 अगस्त 2019 के बाद से बंदूक उठाने पर मजबूर हुआ है। बता दें कि वे अपने बयान से यह जाहिर करना चाहते थे कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के विरोध के परिणामस्वरूप घाटी के युवा बंदूक थामने पर बाध्य हुए हैं।
#BREAKING | Former J&K Chief Minister and NC Leader Omar Abdullah makes controversial statement, says ‘terrorists haven’t come from outside’
Tune in to watch: https://t.co/oefJxIhn1D pic.twitter.com/pBdErt9Qeb
— Republic (@republic) November 28, 2021
गौरतलब है कि पाकिस्तान हमेशा से ही घाटी के युवाओं को आतंक की राह पर चलाने का काम करते हुए आया है और इस काम में धारा 370 हमेशा से पाकिस्तान के लिए मददगार साबित होता था जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इसे निरस्त कर दिया, जिसके बाद आतंक के आका बरगलाएं हुए हैं। धारा 370 के निरस्त होने के बाद से घाटी में निवेश व रोजगार के साधन में इजाफा हुआ है। अधिकांश युवाओं के जिंदगी में बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है, लेकिन घाटी में कुछ लोग केंद्र सरकार के उक्त फैसले से खिसयाए हुए हैं, जो एक बार फिर से उमर अब्दुल्ला के बयान से साफ झलकता हुआ दिखा है। जिस तरह से उन्होंने आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान का बचाव करते हुए केंद्र सरकार को ही सवालिया कठघरे में खड़ा किया है, वो निंदनीय है।
वहीं, अब उमर अब्दुल्ला अपने इस बयान को लेकर खुद ही फंस चुके हैं। बीजेपी के तरफ से उनसे सवाल किए जा रहे हैं कि आप कह रहे हैं कि 5 अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर के युवा बंदूक उठावे को मजबूर हुए हैं, तो घाटी का तो आतंकवाद का दीमक पिछले 30 सालों से खा रहा है और इन बीते सालों में आपकी ही सरकार रही है, तो बिना कुछ सोचे समझे केंद्र सरकार पर आपके द्वारा सवाल उठाना तो औचित्यहीन ही साबित होता है।