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Owaisi: राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए ममता ने नहीं दिया न्योता तो भड़के ओवैसी, कहा अगर मुझे बुलाया जाता तो…

Owaisi: ओवैसी ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा कि अगर ममता बनर्जी ने हमें बुलाया भी होता है, तो हम नहीं जाते। वहीं, जब उनसे इसके पीछे की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि इसकी वजह कांग्रेस है, क्योकि टीएमसी ने बैठक में कांग्रेस को बुलाया है और कांग्रेस को हम खरी खोटी सुनाते हैं, इसलिए हम इस बैठक में शामिल नहीं होना चाहते थे।

नई दिल्ली। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बुलाई गई बैठक में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने तो पहले ही किनारा कर लिया था, जिसे लेकर अभी सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। उधर, सियायी प्रेक्षकों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल और टीआरएस प्रमुख की गैर-मौजूदगी ने कहीं न कहीं विपक्षी एकजुटता को गहरा अघात पहुंचाया है। बता दें कि ममता बनर्जी ने यह बैठक आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर बुलाई थी, जिसमें आमंत्रित किए गए सभी नेताओं ने मौजूदगी दर्ज कराई है, लेकिन उक्त दोनों नेताओं ने दूर रहना ही मुनासिब समझा है। हालांकि, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी के बीच संबंध काफी मधुर हैं, लेकिन इसके बावजूद भी बैठक से उनकी दूरी कहीं न कहीं सियासी गलियारों में किसी को भी हजम नहीं हो रही है। उधर, अभी तक इसे लेकर ममता बनर्जी की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन क्या आपको पता है कि ममता बनर्जी की इस आमंत्रित की गई सूची में एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी को नहीं बुलाया गया था, जिस पर उनसे सवाल भी किया गया, तो उन्होंने, जो कहा है, उसे लेकर सियासी गलियारों में नई बहस छिड़ चुकी है।

बता दें कि ओवैसी ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा कि अगर ममता बनर्जी ने हमें बुलाया भी होता, तो हम नहीं जाते। वहीं, जब उनसे इसके पीछे की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि इसकी वजह कांग्रेस है, क्योकि टीएमसी ने बैठक में कांग्रेस को बुलाया है और कांग्रेस को हम खरी खोटी सुनाते हैं, इसलिए हम इस बैठक में शामिल नहीं होना चाहते थे। ध्यान रहे कि यह बैठक आगामी राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए ममता ने बुलाई थी। माना जा रहा है कि विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर अंतिम मुहर लगाने हेतु बुलाई गई थी।

OWAISI

गौरतलब है कि इससे पहले ममता बनर्जी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर रांकपा प्रमुख शरद पवार के नाम की पैरवी की थी, लेकिन पवार ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने के प्रति अपनी रूची नहीं दिखाई है। वहीं, कुछ लोग उनके इस फैसले को सत्तारूढ दल से बढ़ती उनकी नजदीकियों को वजह मान रहे हैं। बता दें कि आगामी 18 जुलाई को देश में राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक उम्मीदवार के रूप में किसी के भी नाम पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है। अब ऐसी स्थिति में लोगों के जेहन में इस बात को लेकर जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि आखिर राष्ट्रपति पद के लिए किस नाम पर अंतिम मुहर लगती है।