नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार के विरोध में अवार्ड वापस करने का चलन बहुत अधिक रहा है। आए दिन सरकार के किसी ना किसी फैसले पर कई लोग अपना अवार्ड वापस कर चुके हैं। इस तरह के कदम को वे लोग सरकार से असहमति के लिए प्रदर्शित करते हैं। अब देश में कृषि कानूनों को लेकर किसान सड़कों पर हैं, दिल्ली में धरना दे रहे हैं। इसको लेकर भी कई लोग सरकार से मिले अवार्ड को वापस कर चुके हैं और कुछ तो अवार्ड वापस करने की धमकी दे रहे हैं। इन सबके बीच पद्मश्री अवार्ड विजेता एक किसान कृषि कानूनों पर अपनी राय को लेकर काफी चर्चा में हैं। बता दें कि पद्मश्री अवार्ड विजेता किसान भारत भूषण त्यागी (Farmer Bharat Bhushan Tyagi) ने अवार्ड वापस करने वालों को लेकर कहा है कि जो लोग किसानों के कथित समर्थन में अवार्ड वापस कर रहे हैं, उन्हें खेती में ये पुरस्कार नहीं मिला है।
भारत भूषण त्यागी ने न्यूज़ 18 से बातचीत में कहा कि, कृषि क़ानून को द्विपिक्षीय स्वरुप में समझने की ज़रूरत है। इससे किसानों को फायदा भी है। उन्होंने कहा कि इस कानून के जरिए बिचौलियों की अंधेरगर्दी समाप्त होगी। पद्मश्री अवार्डधारी किसान भारत भूषण ने कहा कि इस कृषि क़ानून को लेकर सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है, बल्कि इससे खेती के नए विकल्प खुल रहे हैं।
इस कानून को लेकर जो डर किसानों के मन हैं कि, इसके आने से मंडियां खत्म हो जाएंगी, उसपर त्यागी ने कहा कि, सबसे बड़ी अफवाह ये फैली हुई है कि मंडियां खत्म हो जाएंगी, एमएसपी खत्म हो जाएगी और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए किसानों की ज़मीनें हड़प ली जाएंगी। इस तरह की बातें एकदम बेबुनियाद हैं, सरासर गलत है।
उन्होंने कहा कि, सरकार ने अपनी तरफ से बार-बार आश्वासन दिया है कि एमएसपी बराबर बनी रहेगी। वस्तु अधिनियम में भंडारण को संरक्षित करने की बात भी कही गई है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों की ज़मीन का कोई मुद्दा नहीं है। किसानों को इसे समझना होगा। उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों से निवेदन करते हुए कहा कि वो बातचीत के दौरान विरोध की मानसिकता से न जाएं, क्योंकि अगर हम विरोध की मानसिकता से बातचीत करते हैं तो कभी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आते हैं।
मंडी के जरिए किसानों की हालत पर त्यागी ने कहा कि, मंडी और बाज़ारों के ज़रिए किसानों को फसलों की पूरी कीमत नहीं मिलती थी। इसलिए इसे लेकर सार्थक पहल की ज़रुरत थी जो इस क़ानून में रहेगा। उन्होंने कहा कुछ किसानों में दिमाग में ये भ्रम है कि इस कानून से उनका नुकसान होगा तो वो सरासर गलत है। पद्मश्री अवार्ड विजेता किसान ने कहा कि जो लोग किसानों के कथित समर्थन में अवार्ड वापस कर रहे हैं। उन्हें खेती में ये पुरस्कार नहीं मिला है। उन्होंने ऐसे लोगों को जवाब दिया कि वो महज़ झूठी ख्याति प्राप्त करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
बता दें कि भारत भूषण त्यागी को 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पदमश्री पुरस्कार देकर सम्मानित किया था। उन्हें देशभर में जैविक खेती में नाम कमाने वाले प्रगतिशील किसान के रूप जाना जाता है। यूपी के बुलंदशहर जनपद की स्याना तहसील क्षेत्र के गांव बीहटा के रहने वाले किसान भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती स्वयं कर और देश-प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक कर अपनी अलग छाप छोड़ी है।