आगरा। मुगल बादशाह रहे शाहजहां का उर्स 6 से 8 फरवरी के बीच आगरा के ताजमहल परिसर में मनाया जाने वाला है। इस बार शाहजहां का 369वां उर्स है। इस उर्स को ताजमहल परिसर में मनाए जाने के खिलाफ आगरा के कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शाहजहां का उर्स ताजमहल में मनाए जाने के खिलाफ ये अर्जी दाखिल की है। हिंदू महासभा ने अर्जी में कहा है कि बिना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई की मंजूरी के ताजमहल में उर्स मनाया जाता है। इस उर्स को मनाने वाली कमेटी के अध्यक्ष के बारे में अर्जी में हिंदू महासभा ने कहा है कि उनका ताजमहल से कोई जुड़ाव नहीं है। बिना इजाजत कार्यक्रम कराने का आरोप भी हिंदू महासभा ने लगाया है।
ताजमहल में शाहजहां का उर्स मनाए जाने के खिलाफ हिंदू महासभा की अर्जी पर कोर्ट में 31 मार्च को सुनवाई की तारीख लगी है। हालांकि, उर्स अब कल से ही 3 दिन तक मनाया जाएगा। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की 1631 में मौत के बाद आगरा में यमुना नदी के किनारे बनवाया था। शाहजहां की जब 1666 में मौत हुई, तो लाश को ताजमहल में ही लाकर दफनाया गया। ताजमहल के तहखाने में मुमताज महल और शाहजहां की असली कब्रें हैं। इस तहखाने को हर साल शाहजहां के उर्स के मौके पर ही खोला जाता है। जबकि, ऊपर के तल पर नकली कब्रों को सैलानी देख पाते हैं।
ताजमहल को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है। तमाम हिंदू संगठनों का दावा है कि यहां प्राचीन तेजोमहालय शिव मंदिर हुआ करता था। जिसे लेकर ताजमहल का स्वरूप दे दिया गया। जयपुर राजघराने की राजकुमारी और राजस्थान सरकार में अब डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने भी बयान दिया था कि उनके परिवार से ही जगह लेकर शाहजहां ने आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया है। अब मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के खिलाफ कोर्ट में याचिका आने के बाद ताजमहल नए विवाद के केंद्र में आ गया है। आगरा के कोर्ट की तरफ से उर्स पर क्या फैसला सुनाया जाता है, इस पर सबकी अब नजर है।