नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) विश्व जल दिवस (World Water Day) के अवसर पर सोमवार को कैच द रेन यानि वर्षा जल संचय अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुभारंभ करेंगे। इसका उद्देश्य लोगों की भागीदारी के माध्यम से जमीनी स्तर पर जल संरक्षण करना है। इस अभियान को पूरे देश में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 22 मार्च से 30 नवंबर तक प्री-मानसून और मानसून अवधि के दौरान लागू किया जाएगा। वर्षा जल संचय अभियान देशभर में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चलाया जाएगा और इसका नारा होगा – ‘जहां भी गिरे और जब भी गिरे, वर्षा का पानी इकट्ठा करें’। सोमवार से शुरू होकर यह अभियान 30 नवबंर तक मॉनसून पूर्व और मॉनसून के दौरान लागू किया जाएगा। लोगों के सहयोग से गांव-गांव में यह जन आंदोलन चलाया जाएगा ताकि बारिश के पानी का उपयुक्त भंडारण सुनिश्चित हो और भूजल स्तर बेहतर बने।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री दोपहर 12.30 बजे इस अभियान की शुरुआत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करेंगे। लोगों की भागीदारी के माध्यम से जमीनी स्तर पर जल संरक्षण लेने के लिए एक अभियान ‘जन आंदोलन’ (सार्वजनिक आंदोलन) के रूप में शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य सभी हितधारकों को बारिश के पानी के समुचित भंडारण को सुनिश्चित करने के लिए जलवायु परिस्थितियों और उप-समतल क्षेत्रों के लिए उपयुक्त वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण करना है।
Prime Minister @narendramodi to launch ‘Jal Shakti Abhiyan: Catch the Rain’ campaign on 22nd March, 2021
Historic Memorandum of Agreement for Ken Betwa Link Project also to be signed#WorldWaterDay
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— PIB India (@PIB_India) March 21, 2021
इस आयोजन के बाद पानी और जल संरक्षण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रत्येक जिले के सभी ग्राम पंचायतों में (चुनावी राज्यों को छोड़कर) ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाएगा। जल संरक्षण के लिए ग्राम सभाएं ‘जल शपथ’ भी लेंगी। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में जल शक्ति मंत्री और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच केन-बेतवा संपर्क परियोजना क्रियान्वित करने संबंधी समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। नदियों को जोड़ने की राष्ट्रीय योजना के तहत यह पहली परियोजना होगी।
यह समझौता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों को लागू करने के लिए अंतरराज्यीय सहयोग की शुरूआत को प्रेरित करता है। इसका मकसद नदियों के इंटरलिंकिंग के माध्यम से सरप्लस वॉटर वाले क्षेत्रों से सूखाग्रस्त क्षेत्रों एवं पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी पहुंचाना है। इस परियोजना में दौधन बांध के निर्माण के माध्यम से केन से बेतवा नदी तक पानी का हस्तांतरण और दो नदियों को जोड़ने वाली नहर, लोअर ओर परियोजना, कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय परियोजना शामिल है।
इस परियोजना से लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल की आपूर्ति होगी, 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि की वार्षिक सिंचाई हो पाएगी और 103 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन भी होगा। इस परियोजना से बुंदेलखंड के प्यासे क्षेत्र विशेष रूप से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। साथ ही यह परियोजना नदी-परियोजनाओं के अधिकाधिक इंटरलिंकिंग का मार्ग प्रशस्त करेगी जिससे यह सुनिश्चित हो पाएगा कि पानी की कमी देश के विकास में अवरोधक न बने।