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President Draupadi Murmu Also Mentioned Emergency : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी सदन में अपने अभिभाषण में किया आपातकाल का जिक्र, नीट पेपर लीक पर कही बड़ी बात

President Draupadi Murmu Also Mentioned Emergency : द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल देश के संविधान पर सीधा हमला था। जब आपातकाल लागू किया गया तो पूरे देश में हंगामा मच गया। भारतीय संविधान ने पिछले दशकों में कई प्रकार की चुनौतियों को झेला है।

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज सदन में अपने अभिभाषण के दौरान मोदी सरकार 3.0 के विजन को सबके सामने रखा। राज्यसभा और लोकसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने आपातकाल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल देश के संविधान पर सीधा हमला था। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारतीय संविधान ने पिछले दशकों में कई प्रकार की चुनौतियों को झेला है। इसके बाद भी संविधान की जीत हुई और आज भी संविधान बचा हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा जब आपातकाल लागू किया गया था तो पूरे देश में हंगामा मच गया। ऐसी संवैधानिक ताकतों के ऊपर मेरी सरकार भी भारतीय संविधान को सिर्फ शासन का माध्यम नहीं बना सकती, हम अपने संविधान को जनचेतना का हिस्सा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां धारा 370 के कारण स्थिति अलग थी, वहां भी अब हमारी सरकार ने पूरी तरह से संविधान लागू कर दिया है। आपको बता दें कि इससे पहले कल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सदन में आपातकाल की निंदा करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था।

नीट परीक्षा प्रश्न पत्र लीक पर मुर्मू ने कहा, सरकार का निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले। सरकारी भर्ती हो या अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं किसी भी कारण से इनमें रुकावट आए यह उचित नहीं है। इनमें पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है। हाल ही में पेपर लीक की घटनाओं के दोषियों को सजा दिलाने के लिये सरकार प्रतिबद्ध है। परीक्षा में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार ने एक सख्त कानून बनाया है। इस मुद्दे पर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी उपाय करने की आवश्यकता है। सीएए का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति बोलीं कि मेरी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देनी शुरू कर दी है। इससे बंटवारे से पीड़ित अनेक परिवारों को सम्मान के साथ जीवन जीने के रास्ते खुल गए हैं।