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Lakhimpur: किसानों से मिलने के बाद झूठ बोल रही हैं बहन प्रियंका, राजीव गांधी के किस मंत्री ने दिया था इस्तीफा?

Lakhimpur Kheri: स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभी तक सिर्फ दो रेल मंत्रियों ने रेल दुर्घटना के कारण इस्तीफ़ा दिया था और वे दोनों प्रियंका गांधी के पिता राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान के मंत्री नही थे। जिन दो रेल मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दिया था उनमें से सिर्फ एक मंत्री कांग्रेस सरकार के दौरान के थे जबकि दूसरे मंत्री बीजेपी कार्यकाल के!

नई दिल्ली. लखीमपुर खीरी में हुए विवाद के बाद कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने में है। क्या मुख्यमंत्री, क्या नेता, क्या महासचिव सब लखीमपुर खीरी पहुंचकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में लगे हुए हैं। प्रियंका गांधी बड़े आक्रोशित रवैये के साथ दिल्ली से लखीमपुर के लिए रवाना हुई थीं। 48 घंटे तक हाउस अरेस्ट में रहने के बाद जब राहुल गांधी सीतापुर पहुंचे, तब दोनों एक साथ लखीमपुर खीरी गये और मृतक किसान के परिजनों से मुलाक़ात की। हालांकि इसी बीच प्रियंका गांधी का एक वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर सामने आया है। जिसमें वे दावा कर रही हैं कि उनके पिता जब प्रधानमंत्री थे तब एक रेल हादसे के बाद उस समय के रेल मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रियंका गांधी ने ये बातें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी का इस्तीफा मांगने के दौरान कही। आइये हम प्रियंका गांधी के इस बयान की सच्चाई बताते हैं।

kisan bahan priynka

क्या झूठ बोल रही हैं प्रियंका गांधी वाड्रा?

आपको बता दें कि पूरी कांग्रेस इस वक्त लखीमपुर में हुई घटना को लेकर कुछ ज्यादा ही उतावली नजर आ रही हैं, शायद ये इसलिए भी हो रहा है क्योंकि जल्द ही उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होने वाला है। ऐसे में प्रियंका गांधी ने मृतक किसान के परिजनों से मुलाक़ात की। मुलाक़ात के बाद प्रियंका गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को सबने पहचाना है। मैं जानना चाहती हूं कि कैसे न्याय मिलेगा अगर वह मंत्री रहेंगे। वह कह रहे हैं कि बेटा निर्दोष है तो जांच होने तक नैतिक आधार पर इस्तीफा दीजिए। मुझे याद है जब मेरे पिता प्रधानमंत्री थे उस दौरान एक रेलवे ऐक्सिडेंट हुआ था। रेलवे मिनिस्टर ने तब नैतिक के आधार पर इस्तीफा दे दिया था”। लेकिन क्या प्रियंका गांधी सच बोल रही हैं? क्या सच में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए रेल एक्सीडेंट के बाद किसी रेल मंत्री ने इस्तीफा दिया था? आइये इसकी सच्चाई जानते हैं!

राजीव गांधी के कार्यकाल में चार रेल मंत्री थे, किसने दिया था इस्तीफ़ा ?
जानकारी के मुताबिक़, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या हुई उसी दिन राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 31 अक्टूबर 1984 से 1 दिसंबर 1989 तक राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री रहे। राजीव गांधी के लगभग 5 साल के कार्यकाल के दौरान चार लोग रेल मंत्री बनाये गये थे। पहले रेल मंत्री थे एबीए गनी खान चौधरी, इनका कार्यकाल (31 दिसंबर 1984 तक) बहुत कम दिनों का रहा। इसके बाद (31 दिसंबर 1984 से 4 जून 1986 तक) बंसीलाल रेल मंत्री बनाये गये थे। उसके बाद मोहसिना किदवई को रेल मंत्री के तौर शपथ दिलाई गयी थी (24 जून 1986 से 21 अक्टूबर 1986) और राजीव गांधी के कार्यकाल के आखिरी रेल मंत्री माधवराव सिंधिया बनाये गये थे। जिनका कार्यकाल 22 अक्टूबर से 1 दिसंबर 1989 तक रहा।

आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ दो रेल मंत्री ने दिया है इस्तीफा! 
आपको जानकर हैरानी होगी कि इन चार रेलमंत्रियों में से किसी भी मंत्री ने रेल दुर्घटना के कारण इस्तीफा नही दिया था। इस्तीफा तो छोड़िये, जानकारी के मुताबिक़ किसी ने इस्तीफे की पेशकश तक नही की थी। इतना ही नही, उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक़, स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभी तक सिर्फ दो रेल मंत्रियों ने रेल दुर्घटना के कारण इस्तीफ़ा दिया था और वे दोनों प्रियंका गांधी के पिता राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान के मंत्री नही थे।  इतना ही नहीं, जिन दो रेल मंत्रियों ने ट्रेन हादसे के बाद जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था उनमें से सिर्फ एक मंत्री कांग्रेस सरकार के दौरान के थे जबकि दूसरे मंत्री बीजेपी कार्यकाल के!

lal bahdur shastri

ममता बनर्जी और सुरेश प्रभु का इस्तीफा नही हुआ था मंजूर!

रेल दुर्घटना होने पर इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में मंत्री थे! इसी बीच तमिलनाडु के अरियालपुर में एक भीषण रेल हादसा होता है जिसमें सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गयी थी। इस हादसे के बाद रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ली और अपने अपने पद से एतिहासिक इस्तीफा दे दिया था, एतिहासिक इसलिए क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री किसी हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री थे। वहीं हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने से इस्तीफा देने वाले दूसरे रेल मंत्री नाम है बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नितीश कुमार का, अटल जी की सरकार में 1999 में नितीश कुमार को रेल मंत्री बनाया गया था। इसी बीच 3 अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल और अवध असम एक्सप्रेस के बीच पश्चिम बंगाल में भीषण रेल हादसा हो गया था। इस हादसे में करीब 285 लोगों की मौत हुई थी जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। तब नितीश कुमार ने अपने पद यानी रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। ये सिर्फ दो नाम है आजाद भारत के इतिहास में, जब रेल हादसे के बाद रेल मंत्रियों का इस्तीफा हुआ हो! हालाँकि इस्तीफे की पेशकश दो और मंत्रियों ने भी की थी लेकिन तब उनके इस्तीफे को स्वीकार नही किया गया था। ममता बनर्जी ने साल 2000 में और अगस्त 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल हादसे के बाद इस्तीफे की पेशकश की।  इन दोनों का इस्तीफा स्वीकार नही किया गया था.

mamta, nitish

ऐसे में जब प्रियंका गांधी ये कह रही हैं कि उनके पिता के कार्यकाल के दौरान रेल हादसा हुआ था तब रेल मंत्री ने इस्तीफ़ा दिया था, ये बात असत्य है! हाँ अगर प्रियंका गांधी अपने पिता की जगह परनाना की बात कर रही होतीं जो बात समझ में आती है.. फिलहाल प्रियंका गांधी लखीमपुर मामले में अजय मिश्रा का इस्तीफा मांगने के चक्कर में झूठ बोल बैठीं!