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पूर्वांचल के विकास को लेकर बोलीं प्रो नंदिता, कहा- ‘ओडीओपी उत्पादों को बनाना होगा ब्रांड’

Purvanchal Development: चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज(Chamber of Industries) के अध्यक्ष विष्णु अजीत सरिया ने कहा कि पूर्वांचल(Purvanchal) की आबादी 10 करोड़ है। आबादी के अनुरूप उद्योग नहीं है। बिना उद्योग के विकास की परिकल्पना साकार नहीं हो सकती।

गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय की अधिष्ठाता, कला संकाय प्रो नंदिता सिंह ने शनिवार को कहा कि एक जिला उत्पाद (ओडीओपी) की संभावनाएं असीम हैं। जरूरत इस बात की है कि संबंधित जिलों के प्रमुख जगहों पर इनके निशुल्क डिसप्ले की व्यवस्था की जाये। जमाना ब्रांड का है। हमें अपने ओडीओपी उत्पादों को ब्रांड बनाना होगा। इनसे जुड़े शिल्पकारों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षण के जरिये अपग्रेड किया जाए। उत्पादन की क्षमता और उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने के लिए जरूरी पूंजी और बाजार से लिंकेज भी जरूरी है। प्रो नंदिता ये बातें पूर्वांचल के सतत विकास पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी में शनिवार की उद्यमियों के विशेष सम्मलेन की अध्यक्षता करने के दौरान कहीं। उन्होंने पूर्वांचल में टेक्सटाइल और खाद्य प्रसंस्करण की संभावनाओं का भी जिक्र किया। साथ ही कहा कि इंडस्ट्री, उत्पादन करने वाले और शिक्षण संस्थानों में समन्वय स्थापित करना होगा।

Gorakhpur University

चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विष्णु अजीत सरिया ने कहा कि पूर्वांचल की आबादी 10 करोड़ है। आबादी के अनुरूप उद्योग नहीं है। बिना उद्योग के विकास की परिकल्पना साकार नहीं हो सकती। खाद्य प्रसंस्करण और वस्त्र उद्योग, खासकर रेडीमेड गारमेंट्स के क्षेत्र में संभावनाएं तलाशने की जरूरत है। रेडीमेड गारमेंट्स का कारोबार कम पूंजी और फ्लैटेड भवन में संभव है। इससे जमीन की कम जरूरत होगी।

Gorakhpur gorakhpur chamber of industries

चैंबर के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने कहा कि पूर्वांचल के विकास को लेकर इस मंथन के सुझाव को जमीन पर उतारने की जरूरत है। यहाँ ड्राई पोर्ट, टेस्टिंग लैब, राप्ती पर दूसरा पुल और पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस वे से लगे औद्योगिक गलियारा में टेक्सटाइल सिटी बसाने की जरूरत है। उपायुक्त उद्योग आरके शर्मा ने नई निवेश नीतियों और पूर्वांचल की क्षमताओं के बारे में जानकारी दी। कोलकाता के उद्यमी विजय ने सरकार की निवेश फ्रेंडली नीतियों और इज ऑफ डूईंग में लंबी छलांग का जिक्र किया। उद्यमी अहसान करीम ने जमीन और बिजली की महंगी दरों की ओर शासन का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि हमारे निवेश का 50 फीसदी हिस्सा जमीन खरीदने में चला जाता है। जिसका असर अपग्रेडेशन पर पड़ता है। इसके नाते उत्पादन की क्षमता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होते हैं और प्रतिस्पर्धा में हम पिछड़ जाते है।