नई दिल्ली। ओडिशा के बालासोर में बीते 2 जून को बहानागा बाजार रेलवे स्टेशन पर बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था। बहानागा स्टेशन से 2 जून की शाम करीब 6.30 बजे गुजर रही कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन लूप लाइन पर चली गई थी। वहां कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन पहले से खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। इससे उसके सभी डिब्बे पटरी से उतर गए थे। कोरोमंडल एक्सप्रेस कोलकाता के शालीमार स्टेशन से चेन्नई सेंट्रल जा रही थी। इसके उतरे हुए कुछ डिब्बे डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से भी टकराए थे। इससे उस ट्रेन के भी 3 डिब्बे पटरी से उतरे थे। इस भीषण ट्रेन हादसे में 289 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। अब इस मामले में रेलवे ने अपने दो विभागों को दोषी पाया है।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जांच में पाया गया कि सिग्नल मेंटेनर ने मरम्मत के काम के लिए स्टेशन मास्टर को उचित प्रक्रिया के मुताबिक डिस्कनेक्शन मेमो दिया था। काम पूरा होने के बाद रीकनेक्शन मेमो भी दिया गया था। यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम काम कर रहा था। जांच में ये भी पता चला कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को गुजरने देने से पहले सिग्नल के परीक्षण के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा सिग्नलिंग स्टाफ ने रीकनेक्शन मेमो देने के बाद भी सिग्नल पर काम जारी रखा था। रिले रूम तक पहुंचने के लिए प्रोटोकॉल में भी गड़बड़ी मिलने की बात अखबार को सूत्रों ने बताई है। इसके लिए स्टेशन मास्टर और सिग्नलिंग स्टाफ दोनों ही जवाबदेह हैं।
सीआरएस की जांच में ये भी पता चला है कि एक्सीडेंट में किसी बाहरी का हाथ नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में छेड़छाड़ की जांच सीबीआई ही कर रही है। रेलवे ने हादसे के बाद हाल ही में खड़गपुर के डीआरएम शुजात हाशमी और दक्षिण-पूर्व रेलवे के कई अफसरों का ट्रांसफर भी कर दिया है। अब जीएम अर्चना जोशी का भी ट्रांसफर किया गया है।