नई दिल्ली। अमूमन, राजनीति की दुनिया में बेशुमार सियासी सूरमा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में छाए रहते हैं। कभी उन्हें अपने बयानों की वजह से आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, तो कभी तारीफें भी मिलती हैं, तो कभी-कभी तो कुछ सियासी सूरमा अपनी किरकिरी भी करा जाते हैं। इतना सब कुछ पढ़ने के बाद , तो आप समझ ही गए होंगे कि आज फिर किसी राजनेता ने कुछ ऐसा कह दिया है, जिसे लेकर बवाल मच चुका है या यूं कहे कि सोशल मीडिया की दुनिया में उस बयान को लेकर प्रतिक्रियाओं की बारिश शुरू हो चुकी है, तो बिल्कुल अगर आप ऐसा कुछ सोच रहे हैं, तो आप बिल्कुल ठीक सोच रहे हैं। दरअसल, गहलोत सरकार में अभी हाल ही में मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान राज्य मंत्री का शपथ ग्रहण करने वाले राजेंद्र गुढ़ा कुछ ऐसा बोल गए कि यह कहने में किसी को कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि वे अपने साथ-साथ पार्टी की सियासी प्रबुद्धता को भी सवालिया कठघरे में खड़े कर चुके हैं।
दरअसल, राज्य मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद वे अपने हर्ष का इजहार करने के लिए ‘प्रशासन गांवों के संग’ अभियान के अंतर्गत अपने लोगों के साथ ग्रामीण इलाकों में पहुंचे और वहां लोगों से मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण इलाकों में किए जा रहे विकास कार्यों का भी जायजा लिया और इस बीच उन्होंने चीफ इंजीनियर को ठेठ अंदाज में हिदायत देते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि ग्रामीण इलाकों की सड़कें कैटरीना कैफ के गालों की तरह होनी चाहिए। उनकी ऐसी बातों को सुनकर ग्रामीणों ने जमकर ठहाक लगाए। फिलहाल उनका यह बयान काफी तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इस पर अलग-अलग तरह से अपना रिएक्शन देते हुए नजर आ रहे हैं। विरोधी दलों के नेता उनके इस बयान को लेकर चुटकी लेते हुए दिख रहे हैं।
राजस्थान: गहलोत सरकार के नए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के बिगड़े बोल..झुंझुनूं में जनता के बीच अधिकारी से बोले- ‘अब कैटरीना कैफ के गालों जैसी सड़कें बनाएं’ pic.twitter.com/my8JVwLxjH
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) November 24, 2021
बता दें कि राजेंद्र गुढ़ा शुरू से ही दलबदलु किस्म के सियासी सूरमा रहे हैं। वे अपने राजनीतिक जीवन में कई सियासी दलों के जायके का स्वाद चखकर अब कांग्रेस के दर पर पहुंचे हैं। इससे पहले वे बसपा में थे, लेकिन अफसोस वहां उनकी सियासी आरजू मुकम्मल नहीं हुई, तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया, तो यहां पार्टी ने उनकी सियासी आरजू की कद्र करते हुए इन्हें राज्य मंत्री का पद दिया। जिससे वे इतने मंत्रमुग्ध हो गए कि उनके ध्यान ही रहा है कि वे क्या बोल गए और अब वे खुद के साथ-साथ कहीं न कहीं पार्टी की परिपक्वता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करवा चुके हैं। सियासी प्रेक्षकों की मानें, तो सियासी सूरमाओं द्वारा दिए जाने वाले इस तरह के बयान उनकी खुद की सियासी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करते हैं।