लखनऊ/प्रयागराज। जमीयत उलमा-ए-हिंद के चेयरमैन मौलाना अरशद मदनी के तालिबानी बयान के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। मदनी ने तालिबान के जैसा बयान देते हुए लड़कियों के लिए अलग स्कूलों की वकालत की थी। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान ने भी लड़कियों को को-एजुकेशन स्कूलों में शिक्षा देने से रोक दिया है। इससे पहले तालिबान की तारीफ कई मुसलमान धर्मगुरु और सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क कर चुके हैं। बर्क के खिलाफ इस मामले में मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। अब जमीयत के अध्यक्ष मदनी के बयान से मामला और तूल पकड़ रहा है। यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि महिलाएं देश में काम कर रही हैं। वहां, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी तालिबानी विचारधारा के हैं। उन्होंने कहा कि हर समुदाय की महिलाओं को ताकत देने का काम सीएम योगी और पीएम मोदी कर रहे हैं। ये लोग महिलाओं के हाथों में भी बंदूक देना चाहते हैं। महिलाओं का सम्मान होगा और उन्हें और ताकत दी जाएगी।
इस मामले में मोदी सरकार में मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि देश संविधान से चलता है, शरीयत से नहीं। जो शरीयत का डंडा चलाकर संविधान की मूल भावना पर हमला करने की कोशिश करते हैं, वे सफल नहीं होंगे। ऐसी मानसिकता देश स्वीकार नहीं करेगा। वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने तालिबान की वकालत करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं और नेताओं को आतंकवादी बताया है। महंत ने कहा है कि रहते यहां हैं, खाते यहां हैं और पानी भी यहां का पीते हैं और वकालत तालिबान की करते हैं। ऐसे लोगों को कभी माफ नही कर सकते।
बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने गैर मुस्लिमों से कहा है कि वे अपनी बेटियों को को-एजुकेशन स्कूलों में जाने से रोकें। अरशद मदनी का कहना है कि इससे बेटियों को छेड़छाड़ से दूर रखा जा सकेगा। मदनी ने लड़कियों के लिए अलग स्कूल खोलने की भी वकालत की है। इसी मुद्दे पर अब मदनी और जमीयत के खिलाफ माहौल बन गया है।