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Will Bulldozer Action Stop? क्या यूपी में दंगाइयों पर रुकेगा बुलडोजर एक्शन? मुस्लिम संगठन की अर्जी पर आज SC में सुनवाई
जमीयत का कहना है कि बुलडोजर की कार्रवाई यूपी रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट और यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट का उल्लंघन है। इन कानून के तहत मकान को गिराने से 15 दिन पहले उसके मालिक को नोटिस देने और अपील करने के लिए 30 दिन का समय देने की बात है, लेकिन कानपुर में इसका भी पालन नहीं किया गया।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के निर्देश पर दंगा और हिंसा करने वालों के अवैध घरों पर चल रहे बुलडोजर अभियान के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इस मामले में मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच इस मामले में सुनवाई करेगी। जमीयत ने कोर्ट से गुजारिश की है कि वो यूपी में बुलडोजर चलाने की सरकार की कार्रवाई को रुकवाए। इसके अलावा बुलडोजर अभियान चलाने वाले अफसरों पर कार्रवाई की मांग भी मुस्लिम संगठन ने की है।
जमीयत की तरफ से जो अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी गई है, उसमें कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी हुई। इसके विरोध में 3 जून को मुस्लिमों ने कानपुर में प्रदर्शन किया। कुछ हिंदुओं से उनकी झड़प हुई और दोनों समुदायों में पथराव हुआ। इसके बाद यूपी सरकार के निर्देश पर कानपुर प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की और सिर्फ मुस्लिमों के घरों को बुलडोजर से गिराया गया। अर्जी में कहा गया है कि बुलडोजर की कार्रवाई से पहले यूपी के सीएम, एडीजी और कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने जो बयान दिए, उनसे लगता है कि जानबूझकर एक पक्ष को ही निशाना बनाया गया।
जमीयत का कहना है कि बुलडोजर की कार्रवाई यूपी रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट और यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट का उल्लंघन है। इन कानून के तहत मकान को गिराने से 15 दिन पहले उसके मालिक को नोटिस देने और अपील करने के लिए 30 दिन का समय देने की बात है, लेकिन कानपुर में इसका भी पालन नहीं किया गया। अर्जी में ये भी कहा गया है कि कोर्ट ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी बुलडोजर चलाने पर रोक लगा रखी है। पहले से ही कई और अर्जियां कोर्ट में हैं। ऐसे में यूपी में भी बुलडोजर एक्शन पर रोक लगे।