नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है क्योंकि याचिकाकर्ता ने ऐसी याचिका डाली जो कोर्ट को ‘प्रचार हित लगी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बेशक याचिका को सुना जाएगा लेकिन ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना लगाया जाएगा जिसका कोई आधार नहीं है और साथ ही जिसने बेवजह कोर्ट का वक्त बर्बाद किया हो, ऐसी याचिका को रद्द कर दिया जाएगा। दरअसल एक याचिकाकर्ता ने कश्मीर विवाद और पाकिस्तान से युद्ध के समाधान को लेकर एक याचिका कोर्ट में डाली थी और खुले तौर पर मनमोहन-मुशर्रफ के चार सूत्री फॉर्म्युले का समर्थन करते हुए इसे लागू करने की बात की थी।
कोर्ट ने लगाया जुर्माना
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं हैं क्योंकि याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि समस्या का सैन्य समाधान नहीं हो सकता है। कोर्ट अदालत नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है और ऐसा लगता है कि ये याचिका प्रचार हित से प्रेरित है। ऐसी याचिका डालने वालों पर अब कार्रवाई होगी। हम कोर्ट का समय बर्बाद करने को लेकर याचिकाकर्ता प्रभाकर वेंकटेश देशपांडे को जुर्माने का नोटिस भेज रहे हैं और आगे भी उम्मीद करते हैं कि वकील इस तरह की याचिका दायर ही न करें।
याचिका में क्या था
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अरूप बनर्जी ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ हमारे कई युद्ध हुआ है लेकिन अभी तक इसका कोई सही समाधान नहीं निकल पाया है। बता दें कि याचिका प्रभाकर वेंकटेश देशपांडे की तरफ से दायर की गई थी जिसमें मनमोहन-मुशर्रफ के चार सूत्री फॉर्म्युले का समर्थन करते हुए इसे लागू करने की बात की थी। इस चार सूत्री फॉर्म्युले में कथित तौर पर विसैन्यीकृत,स्वायत्तता,बगैर बाड़ वाली सीमा की समस्या और संयुक्त नियंत्रण का हल शामिल है। साथ ही याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि कश्मीर विवाद का हल सैन्य समाधान के जरिए नहीं किया जा सकता है।