नई दिल्ली। कृषि से जुड़े कानूनों में बदलाव को लेकर पंजाब (Punjab) के शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से नाता तोड़ दिया है। कई सालों से भाजपा से मजबूती से जुड़ा हुआ अकाली दल अब अलग हो चुका है। एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने इन बिलों का विरोध करते हुए पहले सरकार और फिर एनडीए से बाहर जाने का फैसला कर लिया। वहीं बिल के विरोध में पहले एनडीए सरकार में शामिल शिवसेना पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए एक बार फिर एनडीए पर तंज कसा है। गौरतलब है कि साल 2019 में महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच तकरार होने के बाद शिवसेना ने एनडीए से किनारा कर लिया था और अब कृषि विधेयकों को लेकर अकाली दल ने NDA का साथ छोड़ दिया है।
संपादकीय में शिवसेना ने अकाली दल के कंधे पर बंदूक रखकर एनडीए को निशाना बनाया। लेख में लिखा गया, “पंजाब के अकाली दल ने भी NDA छोड़ दिया है। चलो अच्छा हुआ पीछा छूटा की तर्ज पर उनका इस्तीफा तुरंत स्वीकार कर लिया गया। उन्हें लगा था कि उनसे कहा जाएगा कि वह विचलित न हों, ऐसा कदम न उठाएं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
सामना में आगे लिखा गया, “केंद्र सरकार की सत्ता हाथ में है तो कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन सत्ता का ‘किला’ भले जीत लिया हो पर वह एनडीए के दो शेरों को गंवा चुके हैं, इस तथ्य से कैसे इनकार किया जा सकता है?”
‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि यह अजीब है कि राजग के ‘अंतिम स्तंभ’ अकाली दल को गठबंधन से हटने से नहीं रोका गया । संपादकीय में कहा गया है, ‘‘जब बादल (राजग से) हटे तो उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की गयी। इससे पहले शिवसेना भी राजग से हटी । इन दोनों हटने के बाद राजग में अब बचा क्या है? जो अब भी गठबंधन में हैं उनका क्या हिंदुत्व से क्या कोई लेना देना है?’’
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘पंजाब और महाराष्ट्र वीरता का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा शिअद एवं शिवसेना इस वीरता एवं बहादुरी का चेहरा हैं।’’ संपादकीय में कहा गया है, ‘‘अब जब कुछ ने इस गठबंधन को ‘राम-राम’ (अलविदा) कह दिया है और इसलिये राजग में अब राम नहीं बचे हैं जिसने अपने दो शेर (शिवसेना एवं शिअद) खो दिये हैं।’’