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Politics: PM मोदी की सुरक्षा के मुद्दे पर सहयोगियों से ही घिर रही कांग्रेस, शिवसेना ने कर दी है ये मांग

बीते दिनों उद्धव के करीबी मंत्री अब्दुल सत्तार ने दिल्ली आकर मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से मुलाकात की थी। सत्तार ने मुलाकात के बाद कहा था कि अगर गडकरी चाहें, तो महाराष्ट्र में एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना में गठबंधन हो सकता है।

मुंबई। पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध के मामले में पंजाब की कांग्रेस सरकार भले ही अजब-गजब तर्क दे रही हो, लेकिन मोदी विरोधियों तक को उसके ये तर्क समझ में शायद नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के अंदर तो आवाजें उठ ही रही हैं, उसके सहयोगी दल भी सवाल खड़े कर रहे हैं। ताजा मामला शिवसेना का है। शिवसेना ने इस मामले में गहन जांच की मांग कर दी है। शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एक ट्वीट कर इस बारे में पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की इच्छा बताई है। संजय राउत ने लिखा है कि प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं। उनकी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। पंजाब में मोदी के दौरे के वक्त सुरक्षा में जो गड़बड़ियां देखी गईं, वो काफी गंभीर हैं। ऐसी ही गलतियों की वजह से देश ने दो पीएम की जान गंवा दी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मांग है कि इस घटना की कहराई से जांच की जाए।

ये पहला मौका है, जब कांग्रेस के किसी सहयोगी दल ने मोदी की सुरक्षा में सेंध के मसले पर जांच की मांग कर दी है। बता दें कि शिवसेना और कांग्रेस मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की ये ताजा मांग कांग्रेस आलाकमान को नागवार गुजर सकती है। उसे शायद पसंद न आए कि जिस पार्टी को वो सहयोगी दे रही है, वो मोदी के मसले पर उसे घेरने लगे। बहरहाल, महाराष्ट्र में दोनों मिलकर सरकार तो चला रहे हैं, लेकिन शिवसेना और कांग्रेस के बीच संबंध कभी भी सामान्य नहीं रहे। अब उद्धव की इस मांग से पता चलता है कि कांग्रेस और शिवसेना अलग-अलग पटरियों पर चल रहे हैं।

बीते दिनों उद्धव के करीबी मंत्री अब्दुल सत्तार ने दिल्ली आकर मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से मुलाकात की थी। सत्तार ने मुलाकात के बाद कहा था कि अगर गडकरी चाहें, तो महाराष्ट्र में एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना में गठबंधन हो सकता है। बात महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार की करें, तो कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि वो अगला विधानसभा चुनाव और बीएमसी के चुनाव अकेले लड़ेगी। इससे भी शिवसेना और उसके बीच संबंध और कमजोर होते दिख रहे हैं।