नई दिल्ली। मोदी सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक है बुलेट ट्रेन का, मुंबई से अहमदाबाद के बीच जापान के सहयोग से देश की पहली बुलेट ट्रेन चलाई जानी है जिसका काम अभी अंडर प्रोग्रेस ही चल रहा है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद इस प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण जैसे बुनियादी स्तर पर भी तमाम तरह की रुकावटों की खबरें थीं लेकिन अब जब महाराष्ट्र में सत्ता ने करवट ली है तो बुलेट ट्रेन की उम्मीदों के फिर से पटरी पर लौटने की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। जी हां, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और बीजेपी की नई सरकार बनते ही बुलेट ट्रेन को लेकर हलचल शुरू हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की उम्मीदें फिर से पटरी पर लौटती दिख रही हैं।
असल में, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक कार्यक्रम में बुलेट ट्रेन के संभावित किराए का ज़िक्र किया है। उनके मुताबिक, बुलेट ट्रेन का किराया ट्रेनों के AC फर्स्ट क्लास वाले किराए के आधार पर तय किया जाएगा। उद्धव ठाकरे की सत्ता से विदाई के साथ ही बुलेट ट्रेन के अटके काम के फिर से जोर पकड़ने की संभावना बढ़ गई है। भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई थी। महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन को लेकर सबसे बड़ी समस्या ज़मीन अधिग्रहण की है।
एक तरफ जहां बाकी के हिस्से में 99 फ़ीसदी ज़मीन का अधिग्रहण हो चुका वहीं महाराष्ट्र में अब तक करीब 70 फीसदी तक ही जमीन का अधिग्रहण हो पाया है। राज्य में अब तक कई जगहों पर ज़मीन अधिग्रहण का काम अटका हुआ है। उद्धव सरकार ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उद्धव सरकार के रवैये के कारण बुलेट ट्रेन को लेकर जमीन पर कोई काम नहीं हो पाया। यही वजह है कि बुलेट ट्रेन शुरू करने की कोई समय सीमा तय नहीं हो पाई जबकि इसकी आधारशिला रखते वक्त भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर यानि 15 अगस्त 2022 को इसे शुरू करने का वादा किया गया था।
देश में बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट करीब 508 किमी लंबा है और इसके तहत मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाई जानी है। इसमें 384 किमी का रूट गुजरात में है वहीं महाराष्ट्र में 155 किलोमीटर और दादरा नागर हवेली में 5 किलोमीटर का रूट तैयार किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर कुल 1 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का ख़र्च होगा, जिसमें से बड़ा हिस्सा जापान से लिए कर्ज का है। बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट में जिस तरह देरी हुई है उससे इसकी लागत में बड़ा इज़ाफ़ा होने का भी डर है। मौजूदा वक्त में प्रोजेक्ट जिस रफ्तार से चल रहा है उसके हिसाब से 2026 में महज़ 50 किलोमीटर रूट पर ट्रायल शुरू होने की संभावना है। ये रूट सूरत से विल्लिमोरिया तक होगा। हालांकि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद रेलवे की उम्मीदें बढ़ गई है।