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Karnataka: सिद्धारमैया सरकार का बड़ा फैसला, धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर उठाया ये कदम

Karnataka: आपको याद दिला दें कि कर्नाटक की तत्कालीन बसवराज बोम्मई की सरकार धर्मांतरण रोधी कानून लेकर आई थी, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया था। उस वक्त विधानपरिषद में बीजेपी की संख्या बल में कमी के कारण यह बिल पारित नहीं हो पाया था, लेकिन बाद में तत्कालीन सरकार ने अध्यादेश लाकर इस बिल को प्रभावी बनाए रखा था।

नई दिल्ली। चुनाव चाहे कोई भी हो…धर्मांतरण का मुद्दा अक्सर सियासतदानों की जुबां पर छाया रहता है…जहां जबरन धर्मांतरण विरोध किया जाता है, तो वहीं स्वेच्छा से किए गए धर्मांतरण को मौलिक अधिकार बताया जाता है। कुछ सियासतदानों द्वारा मौलिक अधिकारों का हवाला देकर यहां तक कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपनी स्वेच्छा से किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार है। वहीं बीते दिनों कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी धर्मांतरण का मुद्दा काफी हावी रहा था। बीजेपी ने जहां धर्मांतरणरोधी कानून की वकालत की थी, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने वादा था कि अगर सूबे में हमारी सरकार आई, तो धर्मांतरण रोधी कानून को निरस्त कर दिया जाएगा। वहीं, अब जब सूबे में कांग्रेस की सरकार बन गई  है, तो अपन कहे अनुसार सरकार एक्शन मोड में आ चुकी है। siddaramaiah congress

दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने धर्मांतरण रोधी कानून को रद्द करने की बात कही है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि इस संदर्भ में कैबिनेट मीटिंग में मुहर लग गई है। अब इस बिल को जल्द ही विधानसभा की पटल में रखा जाएगा। बताया गया है कि बिल का मुख्य ध्येय धर्म की रक्षा करना है। वहीं, इसके साथ ही इस कानून का दूसरा पहलू यह भी है कि जहां कहीं भी प्रलोभन और जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है, उस पर विराम लगाने की दिशा में इस संशोधित बिल में प्रावधान किया गया है। ध्यान दें कि सिद्धारमैया सरकार ने जबरन धर्मांतरण का विरोध किया है, लेकिन इसके साथ ही स्वेच्छा से किए गए धर्मांतरण के विरोध में कानून बनाने का विरोध किया है। वहीं, कर्नाटक सरकार में मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि अब सभी शिक्षण संस्थानों सहित अन्य संस्थानों में संविधान की प्रस्तवना पढना अनिवार्य कर दिया गया है।

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आपको याद दिला दें कि कर्नाटक की तत्कालीन बसवराज बोम्मई की सरकार धर्मांतरण रोधी कानून लेकर आई थी, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया था। उस वक्त विधानपरिषद में बीजेपी की संख्या बल में कमी के कारण यह बिल पारित नहीं हो पाया था, लेकिन बाद में तत्कालीन सरकार ने अध्यादेश लाकर इस बिल को प्रभावी बनाए रखा था। वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर धर्मांतरण रोधी कानून को निरस्त किया जाएगा, जिसे अब पूरा करने का ऐलान सिद्धारमैया ने किया है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में इस पूरे मामले में क्या सरकार की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।