नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी की दयनीय स्थिति के बारे में आप सभी वाकिफ होंगे ही। कैसे कल तक जिसका डंका देश के हर सूबों में बजता था, आज वही पार्टी महज कुछ सूबों तक ही सिमटकर रह गई है। आने वाले दिनों में कांग्रेस भविष्य के अधर में लटकती दिख रही है। कई मौकों पर कांग्रेस में ही विरोध के स्वर देखने को मिले हैं। कांग्रेस में जी-23 के नाम से उभरते समूह ने लगातार पार्टी हाईकमान से विधिवत रूप से अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाने की मांग की है। इन नेताओं ने पार्टी के लिए एक राष्ट्रीय अध्यक्ष की जरूरत को महसूस किया है। इन्हीं सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए सोनिया गांधी आज तमाम आला नेताओं संग मीडिया से वार्ता के क्रम में इन्हीं सब विषयों पर प्रकाश डालती हुईं दिखीं।
कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर जारी ऊहापोह की स्थिति पर विराम लगाते हुए उन्होंने पार्टी के तमाम नेताओं विशेषतौर पर जी-23 के नेताओं को सख्त लहजे में हिदायत देते हुए कहा कि वे ही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहीं हैं। वे ही कांग्रेस की फुल टाइम राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में अगर किसी को भी परेशानी है, तो मीडिया के जरिए अपनी बात पहुंचाने की जगह उनसे व्यक्तिगत तौर पर मिले। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में पार्टी जिस तरह की चुनौतियों से गुजर रही है, उसे ध्यान में रखते हुए पार्टी के शीर्ष नेताओं को एकजुटता का परिचय देना होगा अन्यथा अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में संकट और गहरा सकता है।
I am full-time, hands-on Congress President, says Sonia Gandhi at CWC meeting
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— ANI Digital (@ani_digital) October 16, 2021
गौरतलब है कि सोनिया गांधी का यह बयान अभी हाल ही में जिस तरह से कांग्रेस में संकट गहरा रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए अहम माना जा रहा है। इस बीच उन्होंने अब तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव न होने की पीछे की वजह साझा करते हुए कहा कि आगामी अक्टूबर तक पार्टी को अध्यक्ष मिल जाएगा। 2022 में जून माह में चुनाव की सारी गतिविधियां संपन्न हो जएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि विगत वर्ष ही पार्टी में अध्यक्ष पद हेतु चनाव संपन्न कराए लिए जाते, लेकिन कोरोना के कारण उतन्न हुई स्थितियों को ध्यान में ऐसा संभंव नहीं हो पाया है। विदित है कि उस वक्त देश गंभीर संकट से गुजर रहा था। ऐसे में हमने अध्यक्ष पद के चुनाव न कराना ही उचित समझा।
दमखम से चुनाव में उतरेगी कांग्रेस
इन सभी उक्त बातों के इतर उनके वक्तव्यों में आगामी पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव अपने केंद्र में रहे। उन्होंने पांच राज्यों में होने जा रहे चनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत का परचम लहराने की बात कही। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रत्येक व्यक्ति को पूरे दमखम के साथ चुनाव में उतरना है और अपनी जीत सुनिश्चित करवाने के लिए पूरी रूपरेखा तैयार करनी है। इसमें कोई दोमत नहीं है कि इन राज्यों में होने जा रहे चनाव कांग्रेस पार्टी की दिशा व दशा तय करेंगे। ऐसे में पार्टी की तरफ से हर एक फैसला बहुत ही सोच समझकर लिया जा रहा है। गौरतलब है कि जिस तरह लखीमपुर हिंसा को लेकर प्रियंका गांधी ने अपनी आवाज बुलंद की है, उससे पार्टी में नई जान आई है और बीजेपी के समक्ष एक चुनौती भी पैदा हुई है।
बीजेपी पर भी बरसी सोनिया
इसके अलावा सोनिया गांधी बीजेपी पर भी बरसीं। उन्होंने लखीमुपर खीरी हिंसा और किसान आंदोलन का जिक्र कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इन दोनों ही मसलों से केंद्र सरकार की मानसिकता परिलक्षित होती है। इससे पार्टी की सोच तो जाहिर होती ही है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार को किसानों की तरफ जरूर माकूल जवाब मिलेगा, लेकिन किसान आंदोलन के दौरान जिस तरह खून की होली खेली जा रही है, उस पर वे कोई भी बयानबाजी करने से बचतीं हुईं दिखीं। इससे उनका दोमुंहा चेहरा साफ जाहिर होता है।
“The shocking incidents at Lakhimpur-Kheri recently betrays the mindset of BJP, how it perceives
Kisan Andolan, how it has been dealing with this determined struggle by Kisans to protect their
lives & livelihoods,” Congress interim pres Sonia Gandhi in her opening remarks at CWC pic.twitter.com/O2C9yyqYoY— ANI (@ANI) October 16, 2021
Social goals in jeopardy due to Modi govt’s single-point agenda of “Becho, Becho, Becho”: Sonia Gandhi at CWC
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— ANI Digital (@ani_digital) October 16, 2021
2019 के बाद से ही नहीं हुए अध्यक्ष पद के चुनाव
आपको याद दिला दें कि विगत 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उन्हें कांग्रेसियों की तरफ से मनाने की पूरी कोशिश की गई थी, लेकिन उनका फैसला अटल रहा, जिसका यह नतीजा है कि अभी तक विधिवत रूप से पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं हुए हैं। हालांकि, वो और बात है कि पार्टी दैनिक गतिविधियों के सुचारू संचालन हेतु सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित कर चुकी थी, लेकिन समय-समय पर नेताओं की ओर से जाहिर होते विरोधी स्वर यह बयां करने के लिए पर्याप्त हैं कि उनकी कार्यशैली से पार्टी के मौजूदा नेता असंतुष्ट हैं, जिस पर भी वे किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचतीं हुईं दिखीं।