नई दिल्ली। सोचा गया था कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद संभवत: किसानों की बेरुखी ओझल हो जाएगी और आंदोलन के बहाने सत्ता की राह तलाश रहे लोगों का मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा, लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है। बेशक तीनों कृषि कानूनों लिए जा चुके हैं, मगर किसान भाई अब नई मांगों के साथ आंदोलन कर रहे हैं। बीते दिनों किसानों की तरफ से तीनों कृषि कानूनों के इतर अन्य मांगों को उल्लेखित करते हुए पत्र भी लिखा गया था, जिसमें उन्होंने अपनी तरफ से तमाम मांगों का तफसील से जिक्र भी किया। किसान भाई अब एमएसपी समेत अन्य मसलों को लेकर आंदोलनरत हो चुके हैं। इस बीच किसान आंदोलन के रहनुमा माने जाने वाले राकेश टिकैत आज तक एजेंडा मंच पर दिखे। उन्होंने किसान आंदोलन सहित कई मसलों पर अपनी बेबाक राय रखी। इस बीच उन्होंने एमएसपी को बीमारी करार दिया। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनाया जाता है। हम यहां से नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसानों की समस्याओं का निदान हो चुका है। अभी कई समस्याएं हैं, जिन पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि किसानों की एकमात्र समस्या एमएसपी नहीं है, बल्कि कई सारी समस्याएं हैं, जिन पर विचार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने आज तक के एजेंडा मच से एमएसपी को बीमारी करार दिया। उन्होंने कहा कि इसका उपचार दिल्ली से होगा और आपको बता दूं कि इस संदर्भ में पीएम मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान कमेटी बनाई गई थी, लेकिन किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया। आज एक बार फिर से किसान भाई अपनी मांगों को लेकर जागृत हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार हमें जब कभी वार्ता के लिए बुलाती है, तो हम जाने के लिए तैयार हैं। बता दें कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद भी किसान घर जाने से इनकार किए जाने के बाद अब इस आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है।