नई दिल्ली। चिपको आंदोलन का पर्याय रहे प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा ((Chipko movement leader Sundarlal Bahuguna) ) का शुक्रवार को 94 वर्ष की आयु में कोविड के कारण निधन हो गया। उनका एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा था और उन्हें 8 मई को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बहुगुणा की कल रात से हालत गंभीर थी और ऑक्सीजन का स्तर गिर जाने के कारण उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था। एम्स के निदेशक रविकांत ने शुक्रवार को बताया कि उन्होंने आज दोपहर 12.05 बजे अंतिम सांस ली।
बहुगुणा एक समर्पित पर्यावरणविद् थे, जिन्हें चिपको आंदोलन की अगुवाई करने के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। वह पहले चिपको आंदोलन के नेता के रूप में हिमालय में जंगलों के संरक्षण के लिए लड़ रहे थे और बाद में एक दशक बाद टिहरी बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया। बहुगुणा का जन्म 1927 में उत्तराखंड के टिहरी के पास मरोदा में हुआ था। उन्होंने छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और बाद में 1965 से 1970 तक राज्य की महिलाओं को शराब विरोधी अभियानों में संगठित करना शुरू किया।
14 साल की उम्र में सुदंरलाल बहुगुणा टिहरी रियासत के खिलाफ प्रजामंडल के आंदोलन में कूद गए। गांधी और श्रीदेव सुमन को अपना गुरु मानने वाले बहुगुणा आजादी के लिए नरेद्रनगर जेल में भी रहे। महज 24 साल की उम्र में बहुगुणा ने कांग्रेस की सदस्यता भी ली, लेकिन उसके बाद उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। दरअसल शादी के समय उनकी पत्नी बिमला बहुगुणा ने एक शर्त रखी। पत्नी ने कहा कि अगर वह राजनीति में रहेंगे तो वह उनसे शादी नहीं करेंगी। इसके बाद बहुगुणा ने राजनीति छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने दलीय राजनीति भी छोड़ दी और समाज सेवा में रम गए।