नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अदालत की अवमानना (Contempt of Court) का दोषी पाए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (lawyer Prashant Bhushan) की सजा पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस अरुण मिश्रा, बी आर गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने मामले में पूरी सुनवाई के बाद फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। इससे पहले कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल (AG) से कहा कि भूषण की अदालत के पतन संबंधी टिप्पणी आपत्तिजनक है, लेकिन उनकी अदालत में प्रतिक्रिया इससे भी अधिक अपमानजनक है।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से प्रशांत पर नरमी बरतने की मांग करते हुए गुजारिश की कि भूषण को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए। इस पर पीठ ने एजी से पूछा, भूषण को चेतावनी का क्या फायदा है, जो सोचते हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है?
Supreme Court reserves its judgement in the 2020 suo motu criminal contempt case against lawyer Prashant Bhushan. https://t.co/dI3qiHJ6Od
— ANI (@ANI) August 25, 2020
वेणुगोपाल ने जवाब दिया कि उनकी प्रतिक्रिया पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम कैसे नहीं कर सकते? हर कोई हमारी आलोचना कर रहा है कि हमने उसकी प्रतिक्रिया पर विचार नहीं किया है।” पीठ ने कहा कि इसके अनुसार भूषण की प्रतिक्रिया और भी अपमानजनक है। जब एजी ने जोर देकर कहा कि भूषण दोबारा ऐसा नहीं करेंगे। इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, उन्हें खुद ये कहने दें।
वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से भूषण को माफ करने का आग्रह किया और कहा कि उन्हे दंडित करना आवश्यक नहीं है। अदालत ने एजी को बताया कि अधिवक्ता भूषण के खिलाफ एक साल पहले सिर्फ एक गलत आरोप के लिए अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी और खेद व्यक्त करने के बाद ही उसे वापस ले लिया था, लेकिन यहां ऐसा नहीं है।
एजी ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि भूषण ने 2009 के मामले में खेद व्यक्त किया है और उन्हें इस मामले में भी ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने भूषण को दो ट्वीट के माध्यम से न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए दोषी ठहराया है। भूषण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने भूषण के जवाब पर इशारा करते हुए एजी से कहा, कृपया उनका जवाब पढ़ें और देखें कि उन्होंने क्या कहा है कि शीर्ष अदालत का पतन हो गया है। पीठ ने एजी से कहा, “क्या ये आपत्तिजनक नहीं है?”