नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ कर रही है। आज कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई है। इससे ठीक पहले केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल कर बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर पर अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का वहां के हालात पर क्या असर पड़ा है। केंद्र सरकार के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 हटाए जाने का वहां बहुत असर पड़ा है और शांति की बहाली का दावा केंद्र सरकार ने हलफनामे में किया है।
BREAKING: Centre defends Article 370 abrogation in fresh affidavit in Supreme Court, says move has brought in
– Unprecedented stability and progress
– Normalcy, with strikes, school closures and stone pelting being a thing of the past; 0 stone pelting incidents this year
-… pic.twitter.com/vSEaMTTe3p— Bar & Bench (@barandbench) July 10, 2023
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने से जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व शांति हुई है। यहां तरक्की हो रही है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि 370 के खात्मे के बाद जम्मू-कश्मीर में हिंसा और अलगाववादी नेटवर्क भी खत्म हुआ है। पथराव की घटनाएं भी पूरी तरह बंद हो गई हैं। केंद्र के हलफनामे के मुताबिक आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े लोगों ने साल 2018 में पत्थरबाजी की 1767 वारदात की थीं, लेकिन अब इन घटनाओं की संख्या शून्य है। सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने के मामलों में भी 2018 की तुलना में 65.9 फीसदी की कमी आई है। केंद्र के मुताबिक 370 रद्द होने से पहले जम्मू-कश्मीर में प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता नहीं थी।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि मई 2023 में श्रीनगर में जी-20 देशों के कार्य समूह की बैठक की गई। ये ऐतिहासिक थी। देश ने पूरी दुनिया को इस बैठक का सफल आयोजन करके दिखाया कि आतंकी और अलगाववादी इलाके को ऐसा बनाया जा सकता है, जहां दुनियाभर के गणमान्य अतिथि आ सकते हैं। केंद्र ने कोर्ट को ये भी बताया है कि जम्मू-कश्मीर में 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक 1.88 करोड़ पर्यटक भी आए। ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला 5 अगस्त 2019 को संसद ने किया था। जिसे कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।