उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में नेशनल हाइवे पर बन रही सिलक्यारा से डंडालगांव सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को हादसे के 5वें दिन भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। इस सुरंग में करीब 60 मीटर हिस्सा बीते रविवार की तड़के अचानक ढह गया था। तभी से ये 40 मजदूर मलबे के पीछे फंसे हुए हैं। मजदूरों को पानी की पहले से डाली गई एक पाइपलाइन के जरिए भोजन और ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए बुधवार को 900 मिलीमीटर की पाइपलाइन डालने की योजना थी। इसके लिए आगर मशीन भी लगाई गई थी, लेकिन मलबे में से होकर पाइपलाइन नहीं डाली जा सकी। अब थाईलैंड की बनी आगर मशीन यहां लाई गई है। भारतीय वायुसेना के विमान से इस मशीन के हिस्सों को पहुंचाया गया है।
अब इस विदेशी आगर मशीन के हिस्सों को जोड़कर विदेशी आगर मशीन को तैयार कर फिर मलबे को काटने और 900 मिलीमीटर की पाइपलाइन बिछाने की कोशिश होगी। माना जा रहा है कि आज रात या कल सुबह तक मजदूरों को सुरंग से निकाल लिया जाएगा। मलबे के पीछे फंसे मजदूर अभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। उनसे वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क किया गया है। मजदूरों को सुरंग से निकालने में बड़ी बाधा उसके ऊपर की ढीली मिट्टी है। मलबे को हटाने का जो काम अब तक किया गया, उस दौरान लगातार ऊपर से ये मिट्टी गिर रही थी। इसकी वजह से मलबे को हटाने या काटकर पाइपलाइन के लिए जगह बनाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। मजदूरों के सुरंग में फंसने की जानकारी मिलने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से बचाव के लिए सभी संभव कदम उठाने को कहा था। जिसके बाद धामी मौके पर पहुंचे थे और अब विदेशी आगर मशीन को वायुसेना के विमान से लाया गया है।
उत्तराखंड में ऑल वेदर हाइवे बनाने का काम काफी समय से चल रहा है। इसकी वजह से पहाड़ों को काटकर जगह-जगह सुरंग बनाई जा रही है। जिन इलाकों में सुरंग बनाई जा रही है, वहां पहाड़ कच्चे हैं। कच्चे पहाड़ मिट्टी और पत्थरों से बने हैं। थोड़ी सी हलचल भी यहां आए दिन भूस्खलन करा देती है। इसी तरह का भूस्खलन सिलक्यारा में बन रही सुरंग में भी हुआ और इसी वजह से मजदूर उसके भीतर फंस गए। इस दौरान कुछ मजदूर भूस्खलन होते देख बाहर निकलने में कामयाब हो गए थे।