नई दिल्ली। पिछले एक वर्ष से चले आ रहे तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के सुर में सुर मिलाने वाले विपक्षी दलों ने एक बार फिर से केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपने आपको किसानों का मसीहा बताने वाले विपक्षी दल एकता की रथ पर सवार होकर केंद्र सरकार पर बिना चर्चा के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की तोहमतें लगा रहे हैं। वो भी बिना यह भूले की उन्होंने अपने कार्यकाल में कैसे विपक्षी दलों की अभिव्यक्ति के अधिकारियों का पलीता लगाया था। कांग्रेस समेत अन्य दलों का कहना है कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र पर कुठाराघात करते हुए तीनों कृषि कानुनों को बिना चर्चा के वापस लेकर जम्हूरियत की रूह को अपमानित किया है। हम सभी इसकी मुखालफत करते हैं। लिहाजा कल तक कृषि कानूनों के विरोध में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विपक्षी दल अब जिस सलीके से इन कानूनों को वापस लिया गया है, उसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल अपनी तथाकथित पीड़ा व्यक्त करते हुए कह रहे हैं कि एक स्वस्थ्य लोकतंत्र में चर्चा-परिचर्चा का अहम किरदार होता है। जब किसी मसले पर चर्चा परिचर्चा के उपरांत नतीजे पर पहुंचा जाता है, तो वो आम जनता के हित का बनकर उभरता है, लेकिन कृषि कानूनों के मामले में केंद्र सरकार ने जिस तरह तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अपने हठ का परिचय दिया है, वो निंदनीय है, लेकिन अगर अतीत के आईने से देखें तो यह पहली मर्तबा नहीं है कि केंद्र सरकार की तरफ किसी कानून को बिना चर्चा के पारित कराया गया या वापिस लिया गया है, बल्कि इससे पहले भी यूपीए सरकार के कार्यकाल में कई विधेयक को बिना चर्चा या यूं कहें बेहद ही अल्पावधि में पारित कराया जा चुका है।
ध्यान रहे उस समय मोदी सरकार की कार्यशैली पर सवाल दागने वाले दलों की सरकार थी और न महज उनकी सरकार ही थी, बल्कि सियासत की दुनिया में इनकी तूती भी बोला करती थी। लेकिन यह लोकतंत्र है और ये इसी लोकतंत्र का करिश्मा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने जीवन में तमाम संघर्षों को बौना साबित कर आज देश की सर्वोच्च राजनीतिक पदवी पर आसीन हैं। खैर, आइए इस रिपोर्ट में हम आपको कुछ ऐसे ही कानून से रूबरू कराए चलते हैं, जिसे यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान बिना चर्चा के पारित करा दिया गया था।
एक नजर इन कानूनों पर...!
केंद्रीय उत्पाद शुल्क (बिजली) वितरण निरसन विधेयक, 2006
इस विधेयक को पारित कराने की सरकार को इसती शीघ्रता थी कि इसे महज 12 मिनट के दरम्यान की पारित करा दिया गया था।
पंजाब सामान्य बिक्री कर (केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में लागू) निरसन विधेयक, 2005
विशेष न्यायाधिकरण (पूरक प्रावधान) निरसन विधेयक, 2004 सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क कानून (निरसन) विधेयक, 2004 मैसूर राज्य
विधानमंडल (प्रतिनिधिमंडल और शक्तियाँ) निरसन विधेयक, 2002 इम्पीरियल लाइब्रेरी (इंडेंचर वैलिडेशन) निरसन विधेयक, 2002 शरणार्थी राहत कर (उन्मूलन) निरसन विधेयक, 2002