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DMK : ‘तमिलनाडु में साफ करते हैं टॉयलेट’, डीएमके के इस नेता का उत्तर भारतीयों पर विवादित बयान, हमलावर हुई BJP

DMK : अगर इन्होंने ये ठुमके यूं ही जारी रखे, तो कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा भुईडोल मचेगा कि फिर ये सियासी बंद पॉलिटिक्स का पी बोलने से पहले भी खौफ खाना शुरू कर देंगे। अब आप इतना सबकुछ पढ़ने के बाद मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया साहब कि आप बिना कोई मुद्दा बताए ऐसी आक्रोशित भूमिका रचाए जा रहे हैं?

नई दिल्ली। लगता है, ज्ञान की गंगोत्री दक्षिण से ही बहती है और बाकी भारत में इंसान नहीं, बल्कि वनमानुष रहते हैं, इसलिए पिछले कुछ दिनों से दक्षिण के कुछ सियासी बंदर ना जाने किस मदारी के इशारे पर गजब के ठुमके लगाए जा रहे हैं। अगर इन्होंने ये ठुमके यूं ही जारी रखे, तो कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा भुईडोल मचेगा कि फिर ये सियासी बंदर पॉलिटिक्स का पी बोलने से पहले भी खौफ खाना शुरू कर देंगे। अब आप इतना सबकुछ पढ़ने के बाद मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया साहब कि आप बिना कोई मुद्दा बताए ऐसी आक्रोशित भूमिका रचाए जा रहे हैं? आखिर माजरा क्या है? जरा कुछ खुलकर बताएंगे तो अब आपका समय ज्यादा खोटी ना करते हुए सीधा आपको मुद्दे की बात बताते हैं।

तो इस तस्वीर में जिस शख्स को आप देख रहे हैं, उसका नाम है दयानिधि मारन। और ये आक्रोशित भूमिका भी हमने इसी मारन साहब के बारे में आपको बताने के लिए रची है। मारन साहब तमिलनाडु से आते हैं। फिलहाल डीएमके में हैं। अचानक से ये साहब सुर्खियों में आ गए। साहब के सुर्खियों में आने की वजह इनके हिंदी भाषियों के संदर्भ में दिए गए अद्भुत विचार हैं। वाह, क्या विचार है साहब के। वो कॉमेडी नाइट विद कपिल शर्मा के शो वाले सिद्धू साहब क्या कहते हैं ठोको ताली। हां….. बिल्कुल…. मारन साहब के विचारों से वाकिफ होने के बाद आप भी यही कहेंगे कि वाह ठोको ताली। अब आपको जरा बताते हैं कि इन महानुभाव ने उत्तर भारतीयों के बारे में क्या कहा है?

पता नहीं मारन साहब ने आज कौन-सी गोली खा ली और मीडिया बंधुओं के सामने आकर तपाक से कहने लगे कि अरे ये यूपी बिहार के लोग हमारे तमिलनाडु में आकर टॉयलेट साफ करते हैं। निर्माण कार्य करने हमारे राज्य में आते हैं। तमाम छोटे-मोटे काम करते हैं। हमारे यहां इन लोगों को हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है। आइए अब जरा ये भी जान लेते हैं कि आखिर उन्होंने इस तरह का बयान क्यों दिया।

तो मारन साहब ने ये बयान भाषाई विवाद के संदर्भ में दिया है। मारन का कहना है कि अब उत्तर भारत के बाशिंदों को हिंदी की वकालत छोड़कर अंग्रेजी को अपनाना चाहिए, चूंकि हिंदी सीखने के बाद अधिकांश लोगों के पास छोटे-मोटे कार्यों करने के इतर कोई विकल्प शेष नहीं रहता है, जिसकी वजह से उत्तर प्रांत में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी देखने को मिलती है। वहीं, हमेशा से ही हिंदी भाषा की पैरोकारी करने में आगे रहने वाली बीजेपी ने इस मुद्दे को फौरन लपकते हुए नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेकर उनसे जवाब तलब किया है। ध्यान दें, बीजेपी का सवाल भी वाजिब ही है, क्योंकि डीएमके इंडिया गठबंधन में शामिल है। ऐसे में अगर बीजेपी नीतीश से इस पूरे मामले पर राय जानने की कोशिश कर रही है, तो इसे अनुचित करना उचित नहीं रहेगा।

खैर, ये कोई पहली दफा नहीं है कि जब दक्षिण के सूबों से हिंदी क्षेत्रों के बाशिंदों को लेकर इस तरह की अमर्यादित टिप्पणी की गई हो। गौरतलब है कि बीते दिनों भरी संसद में डीएमके के ही नेता सेंथिल कुमार ने हिंदी भाषी राज्यों के लोगों को गोमूत्र कह दिया था। उन्होंने यह बयान देश के तीन बडे़ हिंदी सूबों में बीजेपी को मिली जीत के संदर्भ में दिया था। हालांकि, बाद में सेंथिल कुमार को अपने इस अशोभनीय बयान की वजह से माफी मांगनी पड़ी थी, लेकिन इस बीच बड़ा सवाल ये है कि आखिर वो कौन मदारी हैं, जिनके इशारे पर दक्षिण के ये चंद सियासी बंदर हिंदी भाषाई लोगों का अपमान करने का जिम्मा अपने कुपोषित कांधों पर ले रहे हैं?