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किसान आंदोलन पर बोले साक्षी महाराज- ‘विरोध कृषि कानूनों का नहीं, बल्कि CAA-NRC का दर्द है’

Sakshi Maharaj: भाजपा सांसद(BJP MP) ने कहा कि ये आंदोलन किसान कानूनों को लेकर नहीं हो रहा है बल्कि निशाना कहीं है और इरादे कुछ और हैं। यह दर्द CAA-NRC का है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन को लेकर यूपी के उन्नाव से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि, ये किसान आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं है बल्कि यह दर्द CAA-NRC का है। मंगलवार को अपने जन्मदिन के मौके पर साक्षी महराज ने कहा कि, किसान आंदोलन में सभी किसान नहीं हैं, कुछ लोग किसान हैं, वहीं जो असली किसान हैं वो तो खेतों में काम कर रहे हैं। साक्षी महराज ने कहा कि, किसान तो खेतो में काम कर रहा है। प्रदर्शन करने वालों में कुछ भटके हुए किसान हैं। उन्होंने कहा कि, अगर आपको किसान देखना है तो गंज मुरादाबाद में किसान सम्मेलन है, आप चलिए मैं दिखाऊंगा आपको। वहां किसान खेतों में काम कर रहा है और जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें कुछ भटके हुए किसान हैं और कुछ लोग किसान नहीं बहुत बड़े व्यापारी हैं।

Sakshi Maharaj

साक्षी महाराज ने कहा कि, वहां कोई 500 बीघे का जोतेदार है तो कोई 1000 बीघे का। ऐसे ही लोगों के पेट में दर्द है। सारे देश में आंदोलन नहीं हो रहा, बस केवल दो-तीन जगह हो रहा है। पंजाब से लोग आ रहे हैं सिंधु बॉर्डर पर, हरियाणा के बॉर्डर पर आ रहे हैं राजस्थान से, क्योंकि दोनों जगह ही कांग्रेस की सरकार है।

भाजपा सांसद ने कहा कि ये आंदोलन किसान कानूनों को लेकर नहीं हो रहा है बल्कि निशाना कहीं है और इरादे कुछ और हैं। यह दर्द CAA-NRC का है। कुछ लोगों को अनुच्‍छेद 370 हटाने का दर्द है और जो अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर बन रहा है उसका दर्द है। साक्षी महाराज ने कहा यह ठीक उसी तरह ही है कि, खिसियानी बिल्ली खंभा नोच रही है, वरना किसान तो खेतों में काम कर रहा है।

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इसके अलावा अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए साक्षी महाराज ने कहा कि, अखिलेश जी पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, मैं ज्यादा कुछ नहीं कह सकता उनके लिए, लेकिन, उनकी स्थिति भी दिग्भ्रमित जैसी है। अखिलेश जी कभी साधू महात्माओं के यहां जाते हैं, कभी राम भक्त होने का प्रदर्शन करते हैं तो कभी राम विरोधी होने का प्रदर्शन करते हैं। उनकी समझ में नहीं आता कि रास्ता कौन सा है। हम अखिलेश से विनम्र आग्रह करेंगे की रास्ता तय कर लें कि उन्हें राम के मार्ग पर चलना है या रावण के मार्ग पर।