newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

UP: यूपी में ब्राह्मणों का साथ लेने निकली बीएसपी के नेता ले रहे मां गंगा का नाम, लेकिन ‘वोटों’ का पुण्य मिलना नहीं आसान

UP: बीएसपी के गंगा प्रेम से बाहर निकलते हैं और जानते हैं कि क्या मां गंगा का नाम लेने से चुनावी पुण्य उसे मिलने वाला है ? यूपी में 12 फीसदी ब्राह्मण वोट हैं। 20 जिलों में ब्राह्मण वोटर 15 फीसदी तक हैं। सभी बीएसपी के पाले में तो आने से रहे। इसके अलावा करीब 20 फीसदी मुसलमान वोटर में से ज्यादातर सपा के कोर वोटर हैं।

लखनऊ। साल 2007 की तरह ब्राह्मणों से शंख बजवाकर हाथी को सत्ता तक पहुंचाने में सफल रही बीएसपी अब फिर इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल कर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जीतने का सपना देख रही है। ब्राह्मण सम्मेलन से इसकी शुरुआत हुई है और वो भी अयोध्या से। ब्राह्मण वोट जुटाने के लिए निकले बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा गंगा की पूजा कर रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि इससे पार्टी को कितना फायदा होगा ?

election
बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत 23 जुलाई को सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या से की। बाकायदा रामलला का दर्शन करके पार्टी के लिए ब्राह्मणों के वोट मांगे। फिर वह अंबेडकरनगर पहुंचे, जिसे बीएसपी का गढ़ माना जाता है। दो दिन यहां ब्राह्मणों को रिझाने के बाद प्रयागराज में बीएसपी महासचिव ने गंगा आरती की। गंगा की बदहाली का आरोप लगाया और कहा कि बीएसपी की सरकार यूपी में बनी तो गंगा को हर हाल में साफ किया जाएगा।

Prabhatkhabar_

खैर, अब बीएसपी के गंगा प्रेम से बाहर निकलते हैं और जानते हैं कि क्या मां गंगा का नाम लेने से चुनावी पुण्य उसे मिलने वाला है ? यूपी में 12 फीसदी ब्राह्मण वोट हैं। 20 जिलों में ब्राह्मण वोटर 15 फीसदी तक हैं। सभी बीएसपी के पाले में तो आने से रहे। इसके अलावा करीब 20 फीसदी मुसलमान वोटर में से ज्यादातर सपा के कोर वोटर हैं। यानी बीएसपी को यहां भी मुश्किल। अब बात करें 23 फीसदी दलित वोटर पर, तो इनमें से भी ज्यादातर बीजेपी के पाले में जा चुके हैं।

BSP chief Mayawatiतो मायावती के पास वोट कितना बचता है ? इस सवाल का जवाब है जाटव। पश्चिमी यूपी के दलित जाटव अभी भी मायावती के पास हैं। वैसे पश्चिम और पूर्वांचल में मायावती ने हमेशा वोट और सीटें जुटाई हैं, लेकिन हालात अब दूसरे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल का जबरदस्त विकास किया है। इसकी वजह से यहां के लोग अब बीजेपी के साथ जुड़ते दिख रहे हैं। तो मायावती के लिए अब पश्चिम का इलाका ही बचता है। यहां भी कई जगह सपा और आरएलडी का प्रभुत्व है। ऐसे में ब्राह्मण का नाम लेकर बीएसपी 2007 का करिश्मा कितना दिखा सकेगी, यह सवाल सबके मन में उठ रहा है।