नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कल (13 मई) घोषित होने जा रहे यूपी नगर निकाय के चुनावी नतीजों पर सभी दलों की निगाहें टिकी रहेंगी। यकीनन यह देखना दिलचस्प रहेगा कि निकाय चुनाव में किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा? इस निकाय चुनाव में किसकी जीत होती है और किसकी हार? इसे आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाना लाजिमी है। बता दें कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश के 760 नगर निकाय चुनाव के लिए वोटिंग दो चरणों में हुई थी। पहले चरण की वोटिंग 4 मई और दूसरे चरण की 11 मई को हुई थी। वहीं, नतीजों की घोषणा 13 मई सुबह आठ बजे से शुरू होगी।
ध्यान दें कि जहां चुनाव ईवीएम के जरिए हुए हैं, वहां मतगणना भी ईवीएम के जरिए ही होगी। 17 नगर निकायों में चुनाव ईवीएम के जरिए हुए हैं। वहीं, जहां पोस्टल बैलेट के जरिए चुनाव हुए हैं, वहां पोस्टल बैलेट के जरिए ही गिनती शुरू होगी। शाम चार बजे तक 17 नगर निकायों के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। वहीं, यूपी में 199 नगरपालिका परिषद और 544 नगर पंचायतों में बैलेट पेपर से चुनावी प्रक्रिया को पूरा कराया गया है। अब ऐसे में कल घोषित होने जा रहे निकाय चुनाव के नतीजों में कौन विजयी पताका फहराने जा रहा है। देखना दिलचस्प रहेगा। वहीं मतगणना करने के लिए प्रशक्षित चुनावी कर्मियों को तैनात किया गया है। चलिए, आगे कि रिपोर्ट में हम आपको गत वर्ष के चुनावी नतीजों के बारे में विस्तार से बता देते हैं।
2017 के चुनाव में किसने मारी थी बाजी
वहीं, अगर 2017 के चुनावी नतीजों की बात करें, तो बीजेपी ने 16 माहपौर में 14 पर जीत का पताका फहराया था। इसके अलावा 1300 नगर निगम पार्षदों में से बीजेपी के 596 पार्षदों ने जीत का पताका फहराया था। उधर, समाजवादी पार्टी ने 202, बहुजन समाज पार्टी ने 147, कांग्रेस ने 110 और बाकी पर अन्य ने जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही 198 सीटों पर नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के चुनाव हुए थे। इनमें से भाजपा के खाते में 70, सपा ने 45, बसपा ने 29, कांग्रेस ने नौ और एक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीती थी। नगर पालिका परिषद के चुनाव में भी बीजेपी का दबदबा देखने को मिला था।
बता दें कि नगर पालिका परिषद के चुनाव में बीजेपी ने भाजपा की संख्या 923, सपा की 477, बसपा की 262, कांग्रेस की 158 और बाकी अन्य की थी। भाजपा अध्यक्ष के पदों पर भी बीजेपी का दबदबा देखने को मिला था। इसके बाद सपा के 83, बसपा के 45 और कांग्रेस के 17 थे। ये रहे गत निकाय चुनाव के नतीजे लेकिन इस बार सूबे में किसका दबदबा देखने को मिलेगा। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
ध्यान दें कि इस बार कायदे से 2022 में निकाय चुनाव होना था, लेकिन ओबीसी आरक्षण का पेंच फंसने की वजह से विलंब हो गया। दरअसल, इलाहबाद कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, जिसके विरोध में योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इसके बाद कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का निर्देश दिया, जिसे बाद में योगी सरकार की बड़ी जीत के रूप में देखा गया, क्योंकि योगी सरकार शुरू से ही ओबीसी आरक्षण के साथ ही निकाय चुनाव कराने की वकालत करती हुई आई थी, तो इस तरह से प्रदेश में निकाय चुनाव का मार्ग प्रशस्त हुआ।