newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Anand Mohan: आनंद मोहन की रिहाई पर बवाल, अब SC में दाखिल हुई याचिका, की गई ऐसी मांग

Anand Mohan: कारा नियमों में संशोधन से पहले किसी लोक सेवक की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे कैद किसी भी शख्स को उसके अच्छे बर्ताव के आधार पर रिहा करने का विकल्प नहीं था, लेकिन गत दिनों नीतीश सराकार ने कारा नियमों में संशोधन कर इस विकल्प को जन्म दिया है, जिसके बाद आनंद मोहन की रिहाई मुमकिन हो पाई है, जिसे लेकर अभी बिहार की राजनीति में बवाल मचा हुआ है।

नई दिल्ली। बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में दिवंगत आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल कर रिहाई रद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के इस फैसले से पूरे देश में गलत संदेश गया है। बता दें कि साल 2007 में आनंद आईएएस हत्या के आरोप में निचली अदालत ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन पटना हाईकोर्ट ने उस सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया। वहीं, बताया जा रहा है कि नीतीश सरकार ने आगामी लोकसभा सहित बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आनंद मोहन की रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया है। यह सबकुछ चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया किया गया है। बिहार में तो वैसे ही जाति की राजनीति होती है और नीतीश सरकार ने आगामी चुनाव के लिहाज से राजपूत समुदाय का वोट हासिल करने के लिए आनंद मोहन का रिहाई का फैसला किया है, जिससे समाज में गलत संदेश जाएगा।

anand mohan

बता दें कि इससे पहले दिवंगत आईएएस जी कृष्णैया की बेटी ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया था। अब यह मामला कोर्ट में पहुंच चुका है, तो कोइस पर क्या फैसला रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। आपको बता दें कि 10 अप्रैल को नीतीश सरकार ने कारा नियमों में बदलाव किया था, जिसकी बदौलत ही आनंद मोहन की रिहाई का मार्ग प्रशस्त हो पाया है। अब यह भी जान लीजिए कि आखिर नीतीश सरसकार ने कारा नियमों में ऐसा क्या संशोधन किया था, जिसकी बदौलत इस बाहुबली की रिहाई की मुमकिन हो पाई।

anand mohan singh

दरअसल, कारा नियमों में संशोधन से पहले किसी लोक सेवक की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे कैद किसी भी शख्स को उसके अच्छे बर्ताव के आधार पर रिहा करने का प्रावधान नहीं था, लेकिन गत दिनों नीतीश सराकार ने कारा नियमों में संशोधन कर इस विकल्प को जन्म दिया है, जिसके बाद आनंद मोहन की रिहाई मुमकिन हो पाई है। वहीं, इस रिहाई को लेकर बिहार की राजनीति में बवाल मचा हुआ है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

anand mohan

आपको बता दें कि आनंद मोहन पर गोपलागंज के तत्कालीन डीएम जी कष्णैया की हत्या का आरोप लगा था, जिसमें वो 14 साल की सजा काट चुके हैं, लेकिन अब बिहार सरकार ने समय पूर्व उन्हें रिहाई करने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि राजपूत वोट बैंक को साधने के लिए यह फैसला लिया गया है। आनंद मोहन राजपूत परिवार से आते हैं। खैर, आने वाले दिनों में पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। देखना दिलचस्प रहेगा।