नई दिल्ली। मासूम बच्चों के सामने हिंसक कार्रवाई न करने को लेकर पुलिस को सख्त हिदायत दी गई है। न सिर्फ बाल आयोग की ओर से बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस चीज को लेकर सख्त चेतावनी दी है। SC का कहना है कि इससे बच्चों के मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। लेकिन यूपी पुलिस के सामने मानो सारे कानून और सभी पैमाने धराशाई हो जाते हैं। वहीं आज फिर कानपूर देहात की पुलिस का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है। जहां एक जिला अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी को उसके बच्चे के सामने ही थानेदार और पुलिस ने बर्बरता से लाठियों से पीटा है।
वायरल हुआ वीडियो
कानपूर देहात में हुए इस हादसे में शर्मनाक बात यह है कि जिस दौरान इस व्यक्ति की पिटाई की गई उस समय पिता की गोद में उसका तीन साल का मासूम बच्चा था। जो पुलिस के इस रवैये को देखकर जोर-जोर से रोता रहा, चीखता रहा, इतना ही नहीं इस दौरान पिता अपने बच्चे को लगने की दुहाई भी देता रहा। वहीं जब पिता अपने बच्चे को लेकर भगा तो उसे दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया, यहां तक की बच्चे को भी छीनने की कोशिश भी की गई। पुलिस ने ये लाठीचार्ज जिला हॉस्पिटल के कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को लेकर किया था। यह कर्मचारी हॉस्पिटल के साइड में चल रही खुदाई का विरोध कर रहे थे। कर्मचारियों का कहना था कि इस काम की वजह से मिट्टी उड़-उड़कर पूरे हॉस्पिटल में आ रही थी। लेकिन इस दौरान बच्चे को लिए हुए एक पिता के साथ जो पुलिस ने जो कार्रवाई की है उस पर कई तरह के गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कमजोर से कमजोर व्यक्ति को न्याय मिल सके।
यह नहीं कि न्याय मांगने वालों को न्याय के स्थान पर इस बर्बरता का सामना करना पड़े,यह बहुत कष्टदायक है।भयभीत समाज कानून के राज का उदाहरण नहीं है।
सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कानून का भय हो,पुलिस का नहीं। pic.twitter.com/xoseGpWzZH
— Varun Gandhi (@varungandhi80) December 10, 2021
जानिए क्या मामला?
इस दौरान पुलिस एक कर्मचारी को मारते हुए थाने ले गए। इस पर पुलिस एसडीएम का कहना है कि कर्मचारी सुबह से हॉस्पिटल में प्रदर्शन कर रहे थे, और अस्पताल के गेट भी बंद किए हुए थे। इस वजह से इस कर्मचारी को भी पकड़ा गया है। इसके साथ ही एसडीएम ने यह भी कहा कि लाठी चार्ज तो कही हुआ ही नहीं। प्रशासन का यह भी कहना है कि हॉस्पिटल के कर्मचारियों से मरीजों को परेशानी थी। ऐसे में उनको हटाना प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी थी।