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Explained: जानिए क्या है Order 7 Rule 11 और Order 26 Rule 10, जिसके तहत ज्ञानवापी मस्जिद का केस लड़ रहे हिंदू और मुस्लिम

यूपी के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मामला आजकल गर्माया हुआ है। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में 11 अर्जियां दी हैं। इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इस मसले पर अर्जी दी हुई है। आजकल इन अर्जियों पर सुनवाई के दौरान दो नियमों की बड़ी चर्चा हो रही है।

वाराणसी। यूपी के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मामला आजकल गर्माया हुआ है। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में 11 अर्जियां दी हैं। इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इस मसले पर अर्जी दी हुई है। आजकल इन अर्जियों पर सुनवाई के दौरान दो नियमों की बड़ी चर्चा हो रही है। मुस्लिम पक्ष ने कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 के ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत हिंदू पक्ष की अर्जी को चुनौती दी है। जबकि, हिंदू पक्ष ने इसी प्रोसीजर यानी सिविल वाद संहिता के ऑर्डर 26 रूल 10 का मसला उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला जज को निर्देश दिया है कि पहले ऑर्डर 7 रूल 11 की अर्जी पर सुनवाई हो। तो आइए आपको बताते हैं कि सिविल वाद संहिता के ये दोनों नियम आखिर कहते क्या हैं।

Varanasi Gyanvapi Case..

सिविल वाद संहिता का ऑर्डर 7 रूल 11 किसी अर्जी की प्रासंगिकता और पोषणीयता से जुड़ा है। इसके तहत किसी भी वाद के खिलाफ अर्जी दी जाती है और उस वाद पर सुनवाई न करने और उसे रद्द करने की गुहार लगाई जाती है। इस प्रावधान के तहत अर्जी देने वाले को बताना होता है कि आखिर वाद किन आधार पर न सुना जाए और उसे रद्द किया जाने योग्य माना जाए। ज्ञानवापी मसले पर मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत 1947 में आजादी के दिन जो धर्मस्थल जैसा था, वैसा ही रखने की बात है। ऐसे में ज्ञानवापी में पूजा-अर्चना करने की हिंदू पक्ष की याचिका रद्द की जानी चाहिए।

gyanvapi mosque 1

ये तो बात हुई ऑर्डर 7 रूल 11 की। अब आपको बताते हैं कि हिंदू पक्ष ने सिविल वाद संहिता के जिस ऑर्डर 26 रूल 10 का मसला उठाया है, वो क्या है। इस नियम के तहत जब किसी स्थल या मामले का वैज्ञानिक परीक्षण होने में दिक्कत हो, तो न्याय की खातिर एक कमीशन बनाकर सर्वे कराए जाने की बात है। हिंदू पक्ष ने इसी के आधार पर सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की अनुमति हासिल की थी। सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में जमा हो चुकी है। जिला जज के सामने भी हिंदू पक्ष ने इस नियम का उल्लेख किया है और मांग की है कि मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई करने से पहले कोर्ट सर्वे की रिपोर्ट, फोटो और वीडियो जरूर देखे। कोर्ट ने इस बारे में फैसला करने के लिए कल यानी 26 मई की तारीख तय की है।