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जब भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कागज नहीं दिखाएंगे कहने वालों को दिखाया आईना

राज्यसभा में भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने उन लोगों को आईना दिखाया जो सीएए, एनआरसी जैसे कानूनों को संविधान विरोधी बता रहे हैं।

नई दिल्ली। देशभर में सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल लोग इन कानूनों को संविधान की आत्मा के साथ छेड़छाड़ बताते हुए ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ जैसे नारे भी लगातार लगा रहे हैं। इसी को लेकर राज्यसभा में भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने उन लोगों को आईना दिखाया जो इन कानूनों को संविधान विरोधी बता रहे हैं।sudhanshu trivedi

सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में अपने वक्तव्य में कहा कि जो इन कानूनों को संविधान विरोधी बता रहे हैं उन्हें संविधान की मूल भावना को समझने की जरूरत है। जिसे सुनकर सभी हक्के बक्के रह गए। सुधांशु ने राज्यसभा के स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल जब संविधान के अनुसार काम करने की बात आती है तो मुझे ध्यान आया कि संविधान को देखा जाए संविधान की मूल प्रति पर भी थोड़ी दृष्टि डाली जाए। इसमें वर्णित मूल कर्तव्यों और मूल अधिकारों पर ध्यान दिया जाए।

संविधान एक किताब नहीं यह एक जीवंत प्रेरणा का स्त्रोत है। जिसके अंदर एक मूल्य होते हैं। संविधान के निर्माण के समय और इसको तैयार करते समय कई प्रेरणास्त्रोतों को चित्र के रूप में भी इसमें शामिल किया गया। आप देखेंगे कि जिस हिस्से में मूल अधिकारों का जिक्र किया गया है उसके ऊपर किसका चित्र बना हुआ है। उसके ऊपर चित्र बना हुआ है प्रभु श्री रामचंद्र का। लेकिन आज किसी सरकारी किताब के ऊपर भी श्रीराम का चित्र आ जाए तो हंगामा हो जाएगा। इससे अलग संविधान निर्माताओं के मन में था कि सारे अधिकार मर्यादा की सीमा के अंतर्गत हैं इसलिए इस पन्ने के ऊपर श्रीराम की तस्वीर बनाई गई।

आपने देखा स्पीकर महोदय की मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र और राम जन्मभूमि का विषय मर्यादाओं और व्यवस्थाओं को पूर्ण करते हुए पूरी मर्यादा के साथ अपने मुकाम तक पहुंचा। रामलला विराजमान इस पूरे मामले में एक पक्ष के तौर पर अदालत में 70 साल तक अपने पक्ष की लड़ाई लड़ते रहे। उनसे यह तक कहा गया कि आपके होने के कागज दिखाओ चाहे वह 500 साल पुराने कागज क्यों ना हों। वह कागज अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत में ही नहीं फारसी में भी था। उनसे उनके होने का प्रमाण मांगा जा रहा था। जिसको अदालत के सामने रखकर इस मुकदमे को जीता गया।

लेकिन जो लोग श्रीराम लला के होने के सबूत मांग रहे थे वह कह रहे हैं कि हम यहां स्थापित हैं हम कागज नहीं दिखाएंगे तुम मान लो कि हम यहीं के रहनेवाले हैं। मतलब साफ है कि इनके लिए कागज नहीं दिखाएंगे संविधान के अनुरूप है। लेकिन भगवान श्री राम जिनकी मर्यादा को संविधान का हिस्सा माना गया उनके होने के सबूत अदालत में पेश करने पड़े।