नई दिल्ली। जैसा कि पहले से ही लग रहा था एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को बड़े वोटों के अंतर से हराकर राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया। इस चुनाव से बीजेपी गदगद है। एक तो उसने जिस उम्मीदवार को मैदान में उतारा उसने बाजी मार ली है। दूसरी तरफ कांग्रेस मुक्त भारत का उसका सपना और एक कदम आगे बढ़ता दिख रहा है। जी हां। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव की ये सबसे अहम बात है कि किसी और को नुकसान हुआ या नहीं, लेकिन कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान राष्ट्रपति चुनाव में उठाना पड़ा। कोई राज्य शायद ही बचा हो, जहां कांग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए द्रौपदी मुर्मू को वोट न दिया हो। कुल मिलाकर कांग्रेस के बारे में खुलासा हो गया है कि उसमें एकजुटता नहीं है और आलाकमान को तमाम सांसद और विधायक ठेंगे पर रखे हुए हैं।
असम की बात करें, तो वहां के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को कहा कि 22 विपक्षी विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में वोट दिया। सरमा का दावा है कि विपक्ष से क्रॉस वोटिंग करने वाले इन विधायकों में से 15 से 16 कांग्रेस के रहे। असम में 126 में से 79 वोट एनडीए के हैं। जबकि, मुर्मू को 104 वोट मिले हैं। वहीं, असम में यशवंत सिन्हा को सिर्फ 20 वोट हासिल हुए। झारखंड में द्रौपदी मुर्मू को 81 में से 70 विधायकों के वोट मिले। विपक्षी खेमे से जेएमएम ने पहले ही मुर्मू का समर्थन किया था। कांग्रेस के यहां 18 वोट और बीजेपी के 25 वोट थे। यानी यहां भी कांग्रेस से क्रॉस वोटिंग हुई।
अन्य राज्यों से मिली जानकारी भी यहां आपको देते हैं। गुजरात में भी 7 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग की बात सामने आ रही है। जबकि, राजस्थान और गोवा को मिलाकर भी 5 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग की बात कही जा रही है। मध्यप्रदेश में भी ऐसा हुआ है। यानी कोई राज्य ऐसा बचा नहीं है जहां कांग्रेस में दरार न दिख रही हो। साथ ही ऐसे राज्यों में भी कांग्रेसियों ने मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है, जहां पार्टी की सरकार है। इनमें से तमाम राज्य ऐसे भी हैं, जहां या तो इस साल या अगले साल चुनाव होने हैं।