नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर हो रहे किसान आंदोलन को अब बड़े-बड़े सितारों का भी समर्थन मिल रहा है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय पॉप स्टार रिहाना (Rihanna) ने मंगलवार को भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। किसान आंदोलन को लेकर रिहाना ने अपने ट्वीट में इसी से जुड़ी एक खबर को शेयर करते हुए लिखा कि, ‘हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?’ इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में #FarmersProtest को भी दर्ज किया है। इसको लेकर अब भारत में मशहूर हस्तियां इसका विरोध भी कर रही हैं। सबसे पहले तो इस ट्वीट के तुरंत बाद बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने उन्हें करारा जवाब दिया है। कंगना ने रिहाना को जवाब देते हुए मूर्ख और डमी जैसे विशेषणों का इस्तेमाल किया। कंगना ने लिखा है- कोई भी इस बारे में बात नहीं कर रहा है, क्योंकि वे किसान नहीं, आतंकवादी हैं। ये भारत को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि चीन हमारे कमजोर टूटे हुए राष्ट्र को अपने कब्जे में ले सके और इसे अमेरिका की तरह ही चीनी उपनिवेश बना सके..। चुप हो जाओ तुम मूर्ख, हम आपकी तरह अपना देश नहीं बेच रहे हैं।
वहीं अब रिहाना को जवाब देते हुए पूर्व भारतीय क्रिकेटर प्रज्ञान ओझा ने जमकर खिंचाई की है। उन्होंने कहा है कि हम नहीं चाहते कि कोई भी बाहरी हमारे अंदरूनी मामलों में दखल दे। दिल्ली के आस-पास इंटरनेट सेवा पर रोक – शीर्षक से एक टीवी चैनल की खबर को ट्वीट करते हुए रिहाना ने अपने टाइमलाइन पर फार्मर्स प्रोटेस्ट हैशटैग के साथ लिखा कि हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?!
इसके जवाब में ओझा ने कहा कि हमारे देश को अपने किसानों पर गर्व है। देश यह भी जानता है कि वे कितने महत्वपूर्ण हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि जल्द ही इसका समाधान निकलेगा। हमारे अंदरूनी मामलों में किसी बाहरी को नाक घुसड़ने की कोई जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि इंग्लैंड के बाएं हाथ के पूर्व स्पिनर मोंटी पानेसर ने भी भारत में किसानों के आंदोलन पर बहस के लिए पॉप स्टार को आमंत्रित किया था।
रिहाना के ट्वीट के जवाब में मोंटी पानेसर ने भी ट्वीट किया और लिखा, मेरे शो – दि फुल मोंटी पर इस शनिवार किसान आंदोलन के विषय पर आपका साक्षात्कार करना मेरे लिए सम्मान की बात होगी। तीन नए कृषि कानून को निरस्त करने की मांग पर अड़े किसान पिछले साल 26 नवंबर से ही दिल्ली से सटे बॉर्डर इलाकों में डटे हुए हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर फिलहाल रोक लगा दी है।