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Paralympic 2020: चलने-फिरने से लाचार भाविनाबेन की ये कहानी देती है प्रेरणा, टोक्यो पैरालिंपिक्स में पक्का किया मेडल

Paralympic 2020: भाविनाबेन के पिता का कहना है कि उनकी बेटी ने उन्हें देश के लिए मेडल जीतने का भरोसा पहले से ही दिलाया था। वो अब तक जहां पर भी गई हैं बिना मेडल लिए नहीं लौटी। भाविनाबेन के पिता का मानना है कि टोक्यो से भी भाविनाबेन गोल्ड मेडल जीतकर ही लौटेंगी।

टोक्यो। टोक्यो पैरालंपिक खेलों में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए शनिवार को भारतीय महिला टेबल टेनिस पैरा खिलाड़ी भाविना पटेल ने चीन की झांग मियाओ के खिलाफ शानदार जीत के साथ महिला एकल वर्ग के क्लास 4 के फाइनल में प्रवेश किया। इसके साथ ही उन्होंने देश के लिए कम से कम रजत पदक सुनिश्चित कर लिया है। टेबल टेनिस के विमेंस सिंगल्स में क्लास-4 कैटेगरी के फाइनल में पहुंचने भाविनाबेन पटेल है कौन चलिए आपको बताते हैं। टेबल टेनिस में मेडल जीतने भाविनाबेन पटेल देश की पहली पैरा खिलाड़ी हैं। भाविनाबेन जब महज एक साल की थी तो चलने की कोशिश में गिर गईं, उस समय उनके एक पैर में लकवा हो गया, बाद में उनका दूसरा पैर भी लकवे के कारण बेकार हो गया।

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी भाविनाबेन

गुजरात के वडनगर के सुंडिया गांव की रहने वाली भाविनाबेन के पिता हंसमुख भाई पटेल गांव में ही छोटी सी दुकान चलाते हैं। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी भाविनाबेन के पिता ने एक अखबार को बताया कि भाविनाबेन पटेल का एक भाई और एक बहन है, दोनों ही स्वस्थ हैं। भाविनाबेन के पिता ने बताया कि जब एक साल की उम्र में चलने की कोशिश में गिर गईं तब उनके एक पैर में लकवा हुआ और बाद में दोनों ही पैर में लकवा हो गया। जब ऑपरेशन हुआ तो उन्होंने बैसाखी के सहारे चलना शुरू किया।

Bhavina Patel

कंप्यूटर सीखने के दौरान कोच की नजर पड़ी

हंसमुख भाई का ये भी कहना है कि भाविनाबेन संस्कृत में ग्रेजुएट हैं। जब वो दिव्यांगों के स्कूल में कंप्यूटर सीखने के गई तो उसी दौरान गुजरात पैरा टेबल टेनिस के कोच की नजर भाविनाबेन पर पड़ी। जिसके बाद उन्होंने ही भाविनाबेन को टेबल टेनिस खेलने के लिए प्रेरित किया। जब उन्हें एक बार व्हीलचेयर टेबल टेनिस प्रतियोगिता में जीत की तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। टेबल टेनिस की वजह से भाविनाबेन 27 देशों का दौरा कर चुकी हैं। भाविनाबेन कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेडल जीतकर देश का सर गर्व से उंचा कर चुकी हैं।
इसके आगे उन्होंने बताया कि भाविनाबेन को स्पोर्ट्स कोटे से कर्मचारी बीमा निगम में नौकरी प्राप्त हुई है। तीन साल पहले उनकी शादी हुई जिसके बाद उन्हें पति का पूरा साथ मिला। पति और ससुराल वालों के मिले साथ की वजह से ही वो शादी के बाद भी अपने खेल को जारी रख पाईं। इतना ही नहीं हर शादी में उनके पति हमेशा उनके साथ ही रहे हैं ताकि भाविनाबेन को किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

जीत सकती है गोल्ड मेडल

भाविनाबेन के पिता का कहना है कि उनकी बेटी ने उन्हें देश के लिए मेडल जीतने का भरोसा पहले से ही दिलाया था। वो अब तक जहां पर भी गई हैं बिना मेडल लिए नहीं लौटी। भाविनाबेन के पिता का मानना है कि टोक्यो से भी भाविनाबेन गोल्ड मेडल जीतकर ही लौटेंगी।