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Kumar Karthikeya Singh: छोटे से गांव से लेकर IPL तक का संघर्ष भरा सफर, कार्तिकेय की कहानी जानकर प्रेरित हो जाएंगे आप

इससे पहले भी कार्तिकेय ने कई अकादमियों के दरवाजे खटखटाए लेकिन महंगी फीस के कारण उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए। भारद्वाज की हामी भरने के बाद कार्तिकेय रात को फैक्ट्री में काम करते और सुबह क्रिकेट अकादमी में आकर अभ्यास करते। ये उनके मंजिल की पहली सीड़ी थी।

नई दिल्ली। ‘तू खुद की खोज में निकल, तू किस लिए हताश है। तू चल तेरे वजूद की, समय को भी तलाश है, समय को भी तलाश है’। गीतकार तनवीर गाजी की इन पंक्तियों को असल जिंदगी में हर कोई नहीं अपना पाता है, लेकिन आज हम एक ऐसे युवा क्रिकेटर की कहानी आपके सामने ला रहे हैं, जो इन पंक्तियों को अपनी जिंदगी में अपनाता रहा और आज दुनिया की सबसे महंगी लीग आईपीएल(IPL) में अपना जौहर दिखा रहा है। जी हां, दरअसल हम मुंबई इंडियंस में बांए हाथ के स्पिन गेंदबाज कुमार कार्तिकेय सिंह की बात कर रहे हैं।

kartikeya1कुमार कार्तिकेय के संघर्ष की कहानी काफी दिलचस्प है। उन्होंने अपने गांव से दिल्ली और दिल्ली से मध्य प्रदेश फिर आईपीएल तक पहुंचने में काफी मेहनत की। आइए अब कुमार कार्तिकेय की कहानी आपको बताते हैं।

रात में फैक्ट्री और दिन में क्रिकेट

कुमार कार्तिकेय सिंह जब अपने घर से दिल्ली आए, तो उन्होंने अपने घर में एक बात साफ कर दी कि वो क्रिकेट सीखने के लिए अपने घर वालों के उपर बोझ नहीं डालेगा। जब वो दिल्ली आए तो उन्होंने अपने खर्चों और पेट भरने के लिए गाजियाबाद की एक फैक्ट्री में काम करने का मन बनाया। यहां पर उनका एक दोस्त राधेश्याम रहता था। फिर राधेश्याम की फैक्ट्री में कार्तिकेय ने नौकरी की और उसके साथ ही क्रिकेट एकेडमी की तलाश में जाने लगे। एक दिन कार्तिकेय अपने दोस्त राधेश्याम के साथ भारद्वाज के पास पहुंचे और उन्होंने कार्तिकेय को देखकर कोचिंग देने का मन बना लिया था। इससे पहले भी कार्तिकेय ने कई अकादमियों के दरवाजे खटखटाए, लेकिन महंगी फीस के कारण उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए। भारद्वाज की हामी भरने के बाद कार्तिकेय रात को फैक्ट्री में काम करते और सुबह क्रिकेट अकादमी में आकर अभ्यास करते। ये उनके मंजिल की पहली सीड़ी थी।

इस दौरान कार्तिकेय को अपना पेट भरना भी भारी पड़ रहा था। वो 10 रुपये बचाने के लिए फैक्ट्री और अकादमी जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलते थे, ताकि पैसे बचाकर बिस्कुट ले सकें और अपने पेट की आग बुझा सकें। इस बात के बारे में जब उनके कोच भारद्वाज को पता चला, तो उन्होंने कार्तिकेय को अपने कुक के साथ रखने का फैसला किया। भारद्वाज के इस कदम से उन्हें क्रिकेट के स्किल्स सीखने में काफी मदद मिली। जानकारी के लिए बता दें कि ये वो ही भारद्वाज हैं जिन्होंने गोतम गंभीर और अमित मिश्रा को ट्रेनिंग दी थी।

कार्तिकेय के लिए भावुक पल

कार्तिकेय को क्रिकेट जगत में आगे बढ़ाने में भारद्वाज की भूमिका अहम है। भारद्वाज बताते हैं कि, ‘जब हमारे कुक ने कार्तिकेय को दोपहर का खाना दिया, तो उसकी आंखों में से आंसू आ गए, क्योंकि उसने एक साल से दोपहर का खाना नहीं खाया था’।

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बता दें कि इस सीजन में मुंबई इंडियंस ने लगातार अपने आठ मैच हारे थे। 9वें मैच में मुंबई को जीत मिली और इस जीत में कुमार कार्तिकेय की अहम भूमिका रही। इस मैच में कार्तिकेय को जिस बात ने अलग बनाया वो उनका बाएं हाथ से सभी प्रकार की गेंद डालना था। जैसे वो रिस्ट स्पिन, गुगली, फिंगर स्पिन और कैरम गेंद डालने का हुनर रखते हैं।