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Afghanistan: 12 सदस्यों की काउंसिल करेगी अफगानिस्तान पर शासन, इन लोगों को तालिबान ने किया शामिल

Afghanistan: बता दें कि करजई को उदारवादी माना जाता है। 2001 में तालिबान शासन के खात्मे के बाद उन्हें अफगानिस्तान का राष्ट्रपति चुना गया था। करजई भारत में पढ़े हैं और यहां की सभी सरकारों के साथ उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं।

काबुल। करीब 9 दिन बाद आखिरकार तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन करने का खाका तैयार कर लिया है। जानकारी के मुताबिक 12 सदस्यों की एक काउंसिल बनाई गई है। इस काउंसिल में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला अब्दुल्ला और तालिबान के उप प्रमुख अब्दुल गनी बरादर को रखा गया है। रूसी न्यूज एजेंसी स्पूतनिक के मुताबिक 12 में से 7 लोगों ने काउंसिल में शामिल होने की मंजूरी भी दे दी है। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि अब्दुल गनी बरादर को तालिबान राष्ट्रपति बना सकता है, लेकिन ताजा घटनाक्रम से लग रहा है कि तालिबान किसी एक चेहरे की जगह हामिद करजई जैसे नेताओं को सामने रखकर शासन करना चाहता है। बता दें कि करजई को उदारवादी माना जाता है। 2001 में तालिबान शासन के खात्मे के बाद उन्हें अफगानिस्तान का राष्ट्रपति चुना गया था। करजई भारत में पढ़े हैं और यहां की सभी सरकारों के साथ उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं।

Abdul Ghani Baradar

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी सदस्य इंद्रमणि पांडेय ने कहा है कि मोदी सरकार को उम्मीद है कि अफगानिस्तान पर काबिज हुए तालिबान किसी भी पड़ोसी देश के लिए खतरा नहीं बनेंगे। पांडेय ने अफगानिस्तान के मसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की बैठक में कहा कि तालिबान से हम ये भी उम्मीद करते हैं कि वो पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को अफगानिस्तान की जमीन से भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने नहीं देगा।

taliban

उधर, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दुनिया के सभी देशों से अपील की है कि वे तालिबान को कतई मान्यता न दें। ट्रूडो ने कहा कि तालिबान के पहले और अब के चेहरे में कोई अंतर नहीं दिख रहा है। ऐसे में तालिबान को आतंकी संगठन के हिसाब से ही प्रतिबंधित करने की जरूरत है।