नई दिल्ली। चीन को घेरकर मारने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अमेरिका समेत 8 देशों ने चीन की ताकत को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए खतरा बताते हुए आपस में गठबंधन कर लिया है। इस अलायंस का नाम है इंटर-पार्लामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC)। चीन इस पर बुरी तरह से भड़का हुआ है। चीन ने कहा कि 20वीं सदी की तरह उसे अब परेशान नहीं किया जा सकेगा। उसने कहा कि पश्चिम के नेताओं को शीत युद्ध वाली सोच से बाहर आ जाना चाहिए।
शुक्रवार को यह IPAC को लॉन्च किया गया था। इसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं। इस अलायंस का मकसद चीन से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर करारा जवाब देना है। अलायंस का यह भी कहना है कि चीन के खिलाफ खड़े होने वाले देशों को उसका मुकाबला अकेले करना पड़ता है और ‘बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।
चीन में इस कदम की तुलना 1900 के दशक में ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, जापान, इटली और ऑस्ट्रिया-हंगरी के ‘8 नेशन अलायंस’ से की जा रही है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, तब इन देशों की सेनाओं ने पेइचिंग और दूसरे शहरों में लूटपाट मचाई थी और साम्राज्यवाद के खिलाफ चल रहे यिहेतुआन आंदोलन को दबाने की कोशिश की थी।
चीन ने धमकी देते हुए कहा कि वह अब 1900 दशक की तरह नहीं रहा और वह अपने हितों को कुचलने नहीं देगा। ली का कहना है कि अमेरिका अपना हित साधने के लिए दूसरे देशों की सरकारों एवं एजेंसियों को अपने साथ ‘चीन विरोधी’ गतिविधियों में शामिल करना चाहता है और पश्चिम में चीन के खिलाफ माहौल बनाना चाहता है