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Malaysia: अपने हवाई क्षेत्र में चीन के सैन्य विमानों की घुसपैठ से बौखलाया मलेशिया, अब उठाएगा ये कदम!

Chinese Airforce: चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक आधार पर अपना दावा करता आया है। वहीं ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपीन, ताइवान और वियतनाम भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं।

नई दिल्ली। चीन की आए दिन करतूतों से कई देशों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं भारत ही ऐसा देश है जो चीन को सख्ती के साथ जवाब देता आया है। और पिछले कई मौकों पर यह भी देखा गया है कि, भारत के आगे चीन बेबस सा नजर आता है। वहीं अब मलेशिया भी चीन की एक करतूत के चलते बौखलाया हुआ है। दरअसल खबर सामने आई है कि, चीन के 16 सैन्य विमानों ने मलेशिया हवाई क्षेत्र में “घुसपैठ” की। इसको लेकर मलेशिया पूरी तरह से बौखलाया हुआ है और चीन के खिलाफ राजनयिक विरोध दर्ज कराने की सोच रहा है। इसके लिए मलेशिया चीनी राजदूत को तलब करेगा। वहीं मलेशिया के विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन ने मंगलवार देर रात जानकारी दी कि, वह चीनी राजदूत को “मलेशियाई हवाई क्षेत्र और उसकी सम्प्रभुता का उल्लंघन करने” पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए तलब करेंगे।

China Army PLA

 

हुसैन ने अपने एक बयान में कहा, “मलेशिया का रुख साफ है- किसी देश के साथ दोस्ताना संबंध होने का अर्थ यह कतई नहीं है कि, हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करेंगे।” उन्होंने कहा कि वह अपने चीनी समकक्ष को इस तरह के मामले पर मलेशिया की गंभीर चिंता से मुखातिब करवाएंगे। हालांकि इस घटना पर अभी चीन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं मलेशिया के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ को लेकर मलेशिया के वायु सेना ने कहा कि दक्षिण चीन सागर के ऊपर चीन के 16 सैन्य विमानों ने सामरिक उड़ान भरी और उसके वायुक्षेत्र की सीमा का उल्लंघन किया।

सोमवार को मलेशियाई वायु सेना ने कहा कि उसके राडार ने बोर्नियो द्वीप पर पूर्वी सारावाक राज्य में मलेशिया के वायुक्षेत्र के पास चीन के सैन्य विमानों को सामरिक रूप से उड़ान भरते देखा। उन्होंने कहा कि मलेशिया शासित लुसोनिया शॉल्स की तरफ चीनी विमान बढ़े और सारावट तट से करीब 60 नोटिकल मील की दूरी तक आए। मलेशियाई वायु सेना ने सैन्य विमानों द्वारा प्रयास में विफल रहने के बाद इनकी पहचान के लिए अपने विमान भेजे।

China Malaysia

बता दें कि चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक आधार पर अपना दावा करता आया है। वहीं ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपीन, ताइवान और वियतनाम भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं।