नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो विद्रोही इलाके डोनेत्स्क और लुहांस्क की आजादी को मान्यता दे दी है। रूस के इस फैसले के बाद पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। वहीं अब यूक्रेन के साथ युद्ध का खतरा और बढ़ गया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने डोनेत्स्क और लुहांस्क को आजाद घोषित करने के आदेश पर बीती रात हस्ताक्षर किए थे और दोनों को सामरिक और आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया था। इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन पर रूसी हमले की चेतावनी दी थी लेकिन पुतिन ने करीब दो लाख सैनिक तैनात करने के बाद भी हमला नहीं किया और विद्रोही इलाकों को मान्यता दे दी। विशेषज्ञों की मानें तो रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इस दांव से अब NATO बुरी तरह से फंस गया है। आइए बताते हैं क्या पूरा माजरा…
अब आपको बताते हैं इन दोनों जगहों के बारे में। डोनेत्स्क और लुहांस्क यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में रूस से सटे इलाके हैं। एक वक्त डोनेत्स्क को यूक्रेन का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र माना जाता था। डोनबास राज्य का ये मुख्य शहर है और यहां कई अहम खनिजों का भी भंडार है। यहां यूक्रेन का सबसे ज्यादा स्टील उत्पादन भी होता है। इस वजह से भी रूस की नजर इन दोनों इलाकों पर है। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि डोनेत्स्क और लुहांस्क इलाका साल 2014 से ही रूस समर्थक अलगाववादियों के कब्जे में है। रूस के मान्यता देने से जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है। इससे पहले भी रूस ने साल 1993 में दक्षिणी ओसेतिया और अबखाजिया को मान्यता दी थी। रूस और जार्जिया के साथ युद्ध के बाद ये दोनों ही जिले जार्जिया से अलग हो गए थे।
यही नहीं डोनेत्स्क और लुहांस्क को मान्यता देने से रूस अब यूक्रेन की स्थिति पर भविष्य में होने वाली किसी भी बातचीत के दौरान मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। इससे पहले बीत दिनों रूस की संसद ने एक प्रस्ताव को पारित किया था और दोनों ही क्षेत्रों को मान्यता दी थी। रूस के इस निर्णय के बाद अब नाटो सदस्य देश पूरी तरह से दबाव में आ गए हैं। इतना ही नहीं उन्हें यूक्रेन संकट का ऐसा हल निकालना होगा जो रूस को भी मंजूर हो। वहीं अगर ऐसे हालात में रूस वास्तव में हमला करता है तो NATO देशों को अमेरिका की पूरी मदद करनी ही पड़ेगी। उधर, पुतिन के लिए अब हर विकल्प खुले हुए हैं और गेंद अमेरिका समेत नाटो देशों के पाले में है। रूस के सेना भेजने के बाद अमेरिका ने कहा कि वह कड़े प्रतिबंध लगाएगा लेकिन अभी तक उसने यह नहीं बताया है कि ये प्रतिबंध क्या होंगे। नाटो देशों के पास इतनी आधुनिक सेना नहीं है कि वह रूस की आधुनिक सेना का मुकाबला कर सके।
एक रिपोर्ट के अनुसार, नाटो देश रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाएंगे लेकिन उनके पास रूस के तेल और गैस का कोई विकल्प नहीं है। इसके अलावा रूस के पास 630 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार भी है और वह अमेरिका के प्रतिबंधों पर सामना करने की स्थिति में है। हालांकि इस बात की संभावना कम है कि नाटो देश अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों का समर्थन करें क्योंकि रूस के कदम से जमीनी स्तर पर कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। साथी रूस की सेना यूक्रेन के कब्जे वाले इलाके में अभी तक नहीं घुसी है।