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Modi’s USA Visit: पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर हो सकता है बड़ा समझौता, भारत में बन सकेंगे लड़ाकू विमानों के इंजन

अब तक अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ही लड़ाकू विमानों के लिए जेट इंजन बनाते हैं। अमेरिका की जीई, ब्रिटेन की रोल्स रॉयस और फ्रांस की साफ्रान का ऐसे इंजन बनाने में एकाधिकार माना जाता है। साफ्रान से पहले इंजन की बात चल रही थी, लेकिन वो मसला अभी सुलझ नहीं सका है। ऐसे में जीई की मदद भारत के लिए अहम है।

वॉशिंगटन। पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान अमेरिका और भारत में बड़े समझौते का एलान हो सकता है। ये समझौता लड़ाकू विमानों के जेट इंजन के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़ा है। ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी से अमेरिका की जीई कंपनी के 414 मॉडल के जेट इंजन भारत में बन सकेंगे और फिर उनको तेजस विमानों की अगली श्रेणी में लगाया जाएगा। अभी जो तेजस हैं, उनमें भी जीई के 404 मॉडल के इंजन लगे हैं। जिन जेट इंजनों को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत भारत में बनाया जाएगा, वे ज्यादा ताकतवर होंगे।

ge jet engine

मोदी की भारत यात्रा से पहले यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने बताया कि भारत जेट इंजन की तकनीकी हासिल करने की तलाश में है। जीई के इंजनों पर ऐसी उम्मीद है कि ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी का समझौता हो जाएगा। अगर ये समझौता होता है, तो भारत में जीई के जेट इंजन बनेंगे और ऐसे इंजन बनाने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश होगा। बता दें कि अब तक अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ही लड़ाकू विमानों के लिए जेट इंजन बनाते हैं। अमेरिका की जीई, ब्रिटेन की रोल्स रॉयस और फ्रांस की साफ्रान का ऐसे इंजन बनाने में एकाधिकार माना जाता है। साफ्रान से पहले इंजन की बात चल रही थी, लेकिन वो मसला अभी सुलझ नहीं सका है।

मुकेश अघी ने बताया कि चीन लगातार आक्रामक रुक अपना रहा है। भारत को उससे निपटना है। इस वजह से टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर की जरूरत है। अमेरिका में जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को जटिल टेक्नोलॉजी देने पर सैद्धांतिक सहमति बनी थी। अघी के मुताबिक भारत एक बड़ा बाजार है। अमेरिका की कंपनियां भी उसे इसी रूप में देखती हैं। ऐसे में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी से बाजार, व्यापार और आर्थिक निवेश के अवसर जीत के तौर पर सामने आएंगे।