नई दिल्ली। अमेरिका ने ड्रैगन को सबक सिखाने के लिए एक बार फिर तगड़ा झटका दिया है। अमेरिका ने चीन के दादागीरी के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। इसी क्रम में चीन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर के तमाम इलाकों पर उसके दावे को खारिज कर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को एक बड़ा नीतिगत फैसला लेते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है और वह एकतरफा तरीके से अपनी मर्जी इस इलाके में नहीं थोप सकता है। अमेरिका ने कहा है कि 21वीं सदी में चीन के आक्रामक नजरिए के लिए कोई जगह नहीं है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, दुनिया बीजिंग को दक्षिण चीन सागर को अपना समुद्री साम्राज्य नहीं बनाने देगी। अमेरिका अपने दक्षिण-पूर्व एशिया के सहयोगी देशों के साथ खड़ा है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनकी संप्रभुता व संसाधनों पर उनके अधिकारों की सुरक्षा करेगा। अमेरिका दक्षिण चीन सागर या किसी भी दूसरे बड़े इलाके में शक्ति के दम पर कब्जे की हर कोशिश को खारिज करता है और समुद्री इलाकों की सुरक्षा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है।
अमेरिका के आरोप को चीन ने अनुचित बताया
उधर, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस बयान के बाद चीन भड़क उठा है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, अमेरिका के दक्षिण चीन सागर पर दिए गए बयान में तथ्यों के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है और इलाके की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। ये चीन व अन्य देशों के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश है और हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।
दक्षिण चीन सागर में चीन और वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, फिलीपींस, ताइवान के बीच विवाद है। नाइन-डैश-लाइन के नाम से पहचाने जाने वाले इलाके पर चीन अपना दावा पेश करता रहा है और अपने दावों को मजबूत करने के लिए इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीप बना रहा है। चीन ने पिछले कुछ दिनों में अपनी नौसेना की मौजूदगी भी इन इलाकों में बढ़ा दी है जिससे दक्षिण चीन सागर में तनाव और बढ़ गया है।