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लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को लेकर नेपाल की संसद में बिल हुआ पेश, नए नक्शे में भारत के 3 इलाकों का जिक्र

उधर लद्दाख क्षेत्र में चीन भारत को आंखें दिखाने का प्रयास कर रहा है। इधर हमारा अपना साथी देश नेपाल भी सीमा को लेकर भारत के खिलाफ खड़ा हुआ है। नेपाल के साथ लिपुलेख दर्रे का विवाद अब बढ़ता जा रहा है।

काठमांडू। उधर लद्दाख क्षेत्र में चीन भारत को आंखें दिखाने का प्रयास कर रहा है। इधर हमारा अपना साथी देश नेपाल भी सीमा को लेकर भारत के खिलाफ खड़ा हुआ है। नेपाल के साथ लिपुलेख दर्रे का विवाद अब बढ़ता जा रहा है। नेपाल सरकार ने अपने नए नक्शे को संविधान में शामिल करने के लिए संसद में बिल पेश किया है। इस नए नक्शे में भारत के तीन इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा शामिल हैं। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को समर्थन देने का वादा किया है।

कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमया तुंबांगफे ने प्रतिनिधि सभा में संविधान संशोधन बिल पेश किया। नया नक्शा नेपाल के सभी आधिकारिक कागजों में इस्तेमाल होगा। नेपाल अपने कोट-ऑफ-आर्म्स (देश के चिह्न) में भी नए नक्शे को  शामिल करेगा है। इसके लिए संविधान की अनुसूची-3 में संशोधन की जरूरत है। बिल पर सदन में विचार-विमर्श होगा। दोनों सदनों से बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति इस पर दस्तखत करेंगे।

Nepal Prime Minister KP Sharma Oli

 

10 दिन में बिल पास हो सकता है

नेपाल में आमतौर पर संविधान संशोधन बिल पास होने में एक महीने का समय लग जाता है। सूत्रों के मुताबिक इस बार नेपाली संसद बिल को अगले दस दिनों पास करने की कोशिश करेगी। इसके लिए कई प्रक्रियाओं को दरकिनार भी किया जा सकता है।

नेपाल ने 18 मई को जारी किया था नया मानचित्र

भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था, इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया मानचित्र जारी किया था। इसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में बताया। 22 मई को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव भी दिया था। भारत ने नेपाल के सभी दावों को खारिज किया है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और (चीन) के कहने पर किया।

संविधान संशोधन के लिए दो-तिहाई वोट की जरूरत

नेपाल की सरकार को संविधान में संशोधन के लिए दो-तिहाई वोट की जरूरत है। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को निचले सदन को निचले सदन से प्रस्ताव पास कराने के लिए 10 सीटों की जरूरत है। इसलिए सरकार को दूसरी पार्टियों को भी मनाना पड़ रहा है। विपक्षी पार्टियों के सहमत होने पर माना जा रहा है कि यह बिल दोनों सदनों से पास हो जाएगा।

ओली ने राष्ट्रवाद से जोड़कर विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांगा

इससे पहले 27 मई को ओली संविधान संशोधन का बिल पेश नहीं कर पाए थे। मधेसी पार्टियों ने बिल पर असहमति जताई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस मामले को राष्ट्रवाद से जोड़कर समर्थन हासिल करने की मुहिम चलाई। इसके चलते विपक्षी पार्टियों को झुकना पड़ा। उन्होंने इस मामले पर सरकार का समर्थन करने की बात कही है।