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Saturday Shani Dev: अगर शनिदेव की कुदृष्टि से बचना हो तो करें इन मंत्रों का जाप, होगा सारे कष्टों का नाश

Saturday Shani Dev: हिंदू शास्त्रों में लिखा है कि शनिदेव भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) के परम भक्त हैं, इसलिए कृष्ण भक्तों पर शनिदेव अपनी कुदृष्टि नहीं डालते। शनिदेव की पूजा के कुछ विशेष नियम हैं,

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित हैं, जैसे सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है मंगलवार का दिन श्री हनुमान को समर्पित है, उसी प्रकार शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। भगवान शनिदेव को ‘न्याय का देवता’ भी कहा जाता है। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से वो प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल देते हैं। शनिदेव मनुष्य के कर्मों के हिसाब से फल देते हैं इसलिए उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है। शनिदेव का प्रकोप बहुत भयंकर होता है कहा जाता है, कि यदि किसी जातक पर शनि की साढ़े साती, शनि ढैय्या होती है या फिर उसकी शनि दशा खराब होती है, तो जातक मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से काफी परेशान रहता है, लेकिन ऐसा होने पर सच्चे मन से शनिवार के दिन श्रद्धा और भक्ति से शनिदेव की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी कष्ट दूर होते हैं।

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हिंदू शास्त्रों में लिखा है, कि शनिदेव भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) के परम भक्त हैं, इसलिए कृष्ण भक्तों पर शनिदेव अपनी कुदृष्टि नहीं डालते। शनिदेव की पूजा के कुछ विशेष नियम हैं, पूजा करते समय जिन्हें जरूर ध्यान रखना चाहिए और सभी नियमों का पालन पूरी निष्ठा से करना चाहिए। इस दिन नई चीजों को खरीदने की मनाही है। शनिवार को शविदेव की पूजा करके उनकी पूर्ण कृपा पानी हो तो उसके लिए उनके मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। शनिदेव के मंत्रों का जाप करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि भी आती है, साथ ही शनिदेव की कुदृष्टि से छुटकारा मिलता है।

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1.शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

2.शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

3.शनिदेव का पौराणिक मंत्र

ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

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4.शनि का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

5.शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।

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6.सेहत के लिए शनि मंत्र

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

7.तांत्रिक शनि मंत्र

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।