newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Jivitputrika Vrat 2021: जानिए क्या है जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व, किस तरह की जाती है पूजा और कथा

Jivitputrika Vrat 2021: आज जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाएगा। हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है, जिसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत  बेटे की दीर्घायु, आरोग्य और सुखमयी जीवन के लिए माताएं इस दिन का व्रत करती हैं।

नई दिल्ली। आज जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाएगा। हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है, जिसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत  बेटे की दीर्घायु, आरोग्य और सुखमयी जीवन के लिए माताएं इस दिन का व्रत करती हैं। तीज की तरह यह व्रत भी बिना आहार और निर्जला रखा जाता है। यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है, सप्तमी तिथि के दिन नहाने और खाने के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नती के लिए निर्जला व्रत करती हैं। जिसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण होता है।

जितिया व्रत की कथा

जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। कहते हैं कि युद्ध में पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज हो गए थे। सीने में बदले की भावना लिए वह पांडवों के शिविर में घुस गए। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे, अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला। कहा जाता है कि वो सभी द्रौपदी की पांच संतानें थीं। जिसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। जिसके बाद क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला।

krishna

ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पुन: जीवित किया। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया था। कहते हैं कि तभी से संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए हर साल हर मां जितिया व्रत रखती हैं और इस परंपरा को निभाती है।