नई दिल्ली। गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2021), दस शुभ वैदिक गणनाओं के लिए मनाया जाता है जो विचारों, भाषण और कार्यों से जुड़े दस पापों को धोने की गंगा की क्षमता को दर्शाता है। दस वैदिक गणनाओं में ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष, दसवां दिन, गुरुवार, हस्त नक्षत्र, सिद्ध योग, गर-आनंद यौग और कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ राशि में सूर्य शामिल हैं। मान्यता ऐसी है कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
देशभर में आज यानी 20 जून को गंगा दशहरा मनाया जा रहा है। ये हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। जो ज्येष्ठ शुक्ला दशमी के दिन पड़ता है, इसी वजह से इसे दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। आज के दिन गंगा स्नान का खास महत्व होता है।
गंगा दशहरा व्रत कथा
गंगा दशहरा देवी गंगा को समर्पित है और यह दिन उस दिन के रूप में मनाया जाता है। जब गंगा को भागीरथ के पूर्वजों की शापित आत्माओं को शुद्ध करने के लिए अपने मिशन को पूरा करने के लिए पृथ्वी पर उतारा गया था। पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि पृथ्वी पर आने से पहले, देवी गंगा भगवान ब्रह्मा के कमंडल में निवास कर रही थीं और वह स्वर्ग की पवित्रता को पृथ्वी पर ले आईं। लेकिन मां गंगे की गति इतनी अधिक थी कि उसे पृथ्वी की ऊपरी सतह पर रोक पाना नामुमकिन था।
तब भागीरथ ने मां गंगे की इच्छा पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में समा लिया था। इसके बाद भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से मां गंगे को धीमी गति के साथ पृथ्वी पर उतारे थे। स्कन्दपुराण में इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नाम के स्मरण मात्र से ही सभी पापों का अंत हो जाता है।